महाशिवरात्रि के लिए इन एक्ट्रेसेस के रेड साड़ी लुक्स से लें आइडिया, सब करेंगे तारीफ
उदयपुर जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा द्वितीय अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों का सम्मेलन 18-19 फरवरी को उदयपुर में आयोजित किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया। इस अवसर पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री माणिक साहा, ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण मांझी, तीन राज्यों के उपमुख्यमंत्री, 30 से अधिक राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्री और उपराज्यपाल उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हमें जल संरक्षण के उपायों को अपनाकर जल आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर होना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य प्रदान किया जा सके | उन्होंने कहा की जल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें एक सुव्यवस्थित रोड मेप की आवश्यकता है जिसमें की कृषि तथा शहरी जल प्रबंधन तथा तकनीकी नवाचार जैसे पहलुओं का समावेश हो | मुख्यमंत्री ने कहा की राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवन रेखा है तथा इसके माध्यम से प्रदेश के 17 जिलों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 3 करोड़ से अधिक आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा |
इस अवसर पर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी आर पाटिल ने अपने उद्घाटन भाषण में “विकसित भारत @ 2047” के विजन को साकार करने में जल सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत जल प्रबंधन और संरक्षण में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर रहा है। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को एक क्रांतिकारी पहल बताते हुए कहा कि इस अभियान के तहत 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण हुआ, जिससे 60 करोड़ लोगों की आदतों में बदलाव आया और WHO के अनुसार, 3 लाख जिंदगियां बचाई जा सकीं। इस मिशन से ₹8 लाख करोड़ की स्वास्थ्य लागत की बचत हुई, जिससे भारत के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को मजबूती मिली।
उन्होंने जल जीवन मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए बताया कि आज 80% से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन मिल चुका है, और 15 करोड़ घरों तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जा चुका है। इस मिशन के अंतर्गत 25 लाख महिलाओं को पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रशिक्षित किया गया, जिससे जल की शुद्धता सुनिश्चित करने में उनकी भागीदारी बढ़ी है। महिलाओं को प्रतिदिन पानी लाने में खर्च होने वाले 5.5 करोड़ घंटे बचाए जा रहे हैं, जिससे उन्हें अन्य सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होने का अवसर मिला है। WHO के अनुसार, इस मिशन की वजह से 4 लाख डायरिया से होने वाली मौतों की रोकथाम संभव हो पाई है।
जल संचय को एक जन आंदोलन बताते हुए उन्होंने कहा कि सामुदायिक जल संरक्षण अभियान के तहत एक वर्ष से भी कम समय में 10 लाख कृत्रिम वर्षा जल संचयन संरचनाएं विकसित की जा रही हैं। जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए “ जल संचय जनभागीदारी” अभियान को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। इस पहल के तहत राजस्थान में 60,000, मध्य प्रदेश में 1 लाख और छत्तीसगढ़ में 2.29 लाख जल संरचनाएं तैयार की जा चुकी हैं। इसी तरह, जल शक्ति अभियान - कैच द रेन के माध्यम से 2019 से अब तक 1.67 करोड़ से अधिक जल संरक्षण कार्य पूरे किए गए हैं, जिनमें पारंपरिक जल निकायों का पुनर्जीवन और जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
भारत में जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन की दिशा में नदी जोड़ परियोजनाओं को एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि केन-बेतवा लिंक (मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश) से 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी, और 62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध होगा। इसी तरह, संशोधित परबती-कालीसिंध-चंबल (ERCP) परियोजना (मध्य प्रदेश-राजस्थान) से 10 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और 50 लाख लोगों को पेयजल मिलेगा।
उदयपुर के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह शहर जल संरक्षण की समृद्ध परंपरा का उदाहरण है। इसकी झीलों की शृंखला ने न केवल जल आपूर्ति सुनिश्चित की, बल्कि पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी। जल आधारित उद्योगों के चलते हजारों लोगों को रोजगार मिला है, जिससे जल संरक्षण और आर्थिक समृद्धि का गहरा संबंध स्पष्ट होता है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा कल्पित “नदी जोड़” परियोजना पर हो रही प्रगति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत जल संसाधनों के स्थायी और समान वितरण के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने वाजपेयी जी के एक कथन को उद्धृत करते हुए कहा, “तीसरा विश्व युद्ध जल के लिए होगा,” लेकिन भारत इस संघर्ष का हिस्सा नहीं बनेगा क्योंकि हम प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जल संसाधनों को सुरक्षित करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
श्री पाटिल ने अपने भाषण के अंत में कहा, “जल है तो कल है” – जल सुरक्षा के बिना उज्ज्वल भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने जल संरक्षण को धन संचय से भी अधिक आवश्यक बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत जल सुरक्षा की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के मंत्री और नीति-निर्माता जल संरक्षण के लिए ठोस नीतिगत फैसलों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं, जिससे जल प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
भोपाल सम्मेलन ने पांच प्रमुख क्षेत्रों- जल सुरक्षा, जल उपयोग दक्षता, शासन, जलवायु लचीलापन और जल गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसकी नींव रखी। इसके परिणामस्वरूप 22 कार्रवाई योग्य सिफारिशें सामने आईं जिन्होंने पहले से ही राज्यों में जल प्रबंधन रणनीतियों का मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया है। उदयपुर सम्मेलन इन सिफारिशों पर आधारित होगा जिसमें वाटर विजन@2047 को वास्तविकता में बदलने के लिए आवश्यक ठोस कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सम्मेलन में जल प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जाएगी, जिसमें प्रभावी शासन, सीमा पार सहयोग, अभिनव वित्तपोषण और सामुदायिक भागीदारी शामिल है। इस सम्मेलन में तकनीकी समाधान, कुशल जल उपयोग और विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर समन्वय पर भी जोर दिया जाएगा।
सम्मेलन छह विषय गत आधार पर केंद्रित है जो जल प्रबंधन के लिए मुख्य हैं जैसे- जल प्रशासन को मजबूत करना, जल भंडारण अवसंरचना और आपूर्ति को बढ़ाना, पेयजल पर ध्यान केंद्रित करने वाली जल वितरण सेवाएं, सिंचाई और अन्य उपयोगों पर ध्यान देने वाली जल वितरण सेवाएं, मांग प्रबंधन और जल उपयोग दक्षता, एकीकृत नदी और तटीय प्रबंधन।
यह दूसरा अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों का सम्मेलन- 2025 एक ऐतिहासिक आयोजन है, जिसमें भारत के जल सुरक्षा दृष्टिकोण को आकार देने के लिए शीर्ष नीति निर्माता और विशेषज्ञ एक भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्देश्य रणनीतिक चर्चाओं, प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों और सहयोगात्मक निर्णय लेने के साथ ही, भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करना है।