विश्व शांति महा महायज्ञ में 72 इंद्र-इंद्राणी जोड़े ने यज्ञ में दी आहुतियां

उदयपुर । धर्मनगरी एवं जिलों की नगरी उदयपुर में 4000 वर्ष प्राचीन तंबावती नगरी श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर आयड़ में वैदि प्रतिष्ठा एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन हुआ। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष भंवरलाल गदावत ने बताया कि परम पूज्य प्रथमाचार्य शांति सागर महामुनि राज के परम शिष्य पटाधीश परम पूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि अपूर्व सागर महाराज, मुनि अर्पित सागर महाराज, मुनि विववर्जित सागर महाराज के पावन सानिध्य में चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर आयड में वैदि शुद्धि प्रतिष्ठा , विश्व शांति महायज्ञ एवं विधान पूजन का आयोजन हुआ। वैशाख शुक्ल बारस रात्रि जागरण भजन संध्या का आयोजन हुआ और वैशाख शुक्ल तेरस को वैदि शुद्धि एवं विश्व शांति महायज्ञ का अनुष्ठान प्रारंभ हुआ जिसमें भंवरलाल मंजू देवी गदावत सोधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ उसके तत्पश्चात ध्वजा आरोहण दिलीप कुमार लखावला परिवार द्वारा किया गया। दीप प्रजलन कर्ता महामंत्री सुरेश कुमार लखावाला द्वारा किया गया। धनपति कुबेर महावीर कुमार देवड़ा को सौभाग्य प्राप्त हुआ। मंडप का उद्घाटन प्रभु कुमार कारवा द्वारा किया गया। हवन आहुति खूबी लाल चित्तौड़ा द्वारा दी गई। महामंत्री सुरेश कुमार लखावाला एवं गणपत लाल जोलावत व्रजकिशोर जोलावत ने बताया कि पंडित पुष्पेंद्र शास्त्री के मंत्रो द्वारा वैदि शुद्धि एवं विश्व शांति महायज्ञ का आगाज हुआ। मंदिर बेदी शुद्ध विश्व शांति महा महायज्ञ में 72 जोड़े इंद्र इंद्राणी के रूप में विराजमान हुए। इस अवसर पर फतेह लाल मुंडलिया, गजेंद्र कुमार लखावला, आलोक चित्तौड़ा महावीर सिंघवी सहित समाज के तकरीबन 4 से 5000 लोग इस आयोजन में सम्मिलित हुए और धर्म लाभ लिया।