भव सागर से पार उतरने के लिए पार्श्व प्रभु का स्मरण सदा करते रहना चाहिए : विजय नित्यानंद सूरीश्वर

Update: 2025-05-30 08:47 GMT
भव सागर से पार उतरने के लिए पार्श्व प्रभु का स्मरण सदा करते रहना चाहिए : विजय नित्यानंद सूरीश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में उदयपुर स्थित सवीना पाश्र्वनाथ जैन तीर्थ में शुक्रवार को पद्मश्री विभूषित , गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज की निश्रा में नवनिर्मित मुनि भूषण वल्लभ दत्त (फक्कड़ बाबा) जैन धर्मशाला और महातपस्वी मुनि अनेकांत विजय जन्म शताब्दी स्मृति हॉल का भव्य उद्घाटन हुआ । महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि जैनाचार्य सुबह आयड़ जैन तीर्थ से पद विहार करके सवीना पधारे, जहां पर बड़ी संख्या में मौजूद श्रावक श्राविकाओं ने गुरुदेव का स्वागत किया । तीर्थ मंदिर में परमात्मा के दर्शन के बाद नवनिर्मित धर्मशाला का उद्घाटन हुआ । जिसका लाभ मीता प्रदीप जैन परिवार रोहिड़ा वाले हाल अहमदाबाद ने लिया। जन्म शताब्दी हाल के उद्घाटन का लाभ सरोज देवी अभय नलवाया परिवार उदयपुर निवासी ने प्राप्त किया । धर्मशाला में कुल 7 कमरे बने हैं जिनमें से कुछ कमरों के लाभार्थी कृष्णा-इन्द्रा कोठारी, शरद बम्ब, विद्या-रमेश सिरोया, तुरंत धर्मसभा में ही घोषित हो गए । हॉल निर्माण में मुख्य लाभार्थी के रूप में अनिल कुमार, राजू एवं संजय पंजाबी परिवार ने लाभ लिया।

मंदिर के प्रवेश द्वार का लाभ मीना कालू जैन परिवार ने लिया। कई परिवारों ने हॉल निर्माण की संयुक्त योजना में अर्थ सहयोग की घोषणा की । श्री जैन महासभा के द्वारा सभी दानदाताओं का बहुमान किया गया । कुलदीप नाहर ने महासभा की तरफ से सभी का स्वागत और आभार ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि सवीना पाश्र्वनाथ तीर्थ की प्रतिष्ठा भी गच्छाधिपति गुरुदेव ने कुछ वर्ष पूर्व संपन्न की थी और श्री पार्श्व वल्लभ आराधना भवन का उद्घाटन करवाया था । इस बार गुरुदेव के उदयपुर पधारने पर और भी अनेक नए कार्य सम्पन्न हुए है । उदयपुर वासियों ने गुरुदेव को एक चातुर्मास का लाभ देने की भी प्रार्थना की ।

मुनि मोक्षानंद विजय महाराज ने प्रवचन में फरमाया कि प्रभु पार्श्वनाथ की सेवा, पूजा, भक्ति से भक्त स्वयं भगवान बन सकता है । दु:ख दुर्गति और दुर्भाग्य का नाश करने के लिए प्रभु पार्श्व को अचिंत्य महिमा है । सवीना तीर्थ में विराजमान पार्श्वनाथ भगवान 108 प्रमुख तीर्थों में सम्मिलित हैं । भव सागर से पार उतरने हेतु प्रभु पार्श्व का स्मरण सदा सर्वदा करते रहना चाहिए ।

गच्छाधिपति गुरुदेव ने फरमाया कि नवनिर्मित धर्मशाला का नाम उदयपुर से केसरियाजी तक संपूर्ण क्षेत्र के परम उपकारी वचन सिद्ध , फकड़ बाबा वल्लभ दत्त विजय महाराज के पुण्य नाम से और हॉल का नाम मेरे सांसारिक अवस्था के पिता और श्रमण अवस्था के गुरु श्री अनेकांत विजय महाराज के शुभ नाम से समर्पित किया गया है। पुण्य से कमाई लक्ष्मी पुण्य के कार्य में लगती है । धन की प्राप्ति तो कोई भी कर लेता है लेकिन प्रबल पुण्य का उदय हो तब कहीं जाकर सत्कार्यों में धन का सद्व्यय करने का भाव जागता है । लक्ष्मी स्वभाव से चंचला है लेकिन उसे यदि स्थिर करना चाहते हो तो उसे मंदिरों के जीर्णोद्धार अथवा प्राचीन तीर्थ स्थानों में लगाना चाहिए । इस अवसर पर महिला मंडल ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया । मंच संचालक वाणी के जादूगर प्रकाश नागोरी ने भी अपनी रचनाओं से सभी का ध्यान आकर्षित किया । कार्यक्रम के बाद सकल श्री संघ के लिए नवकारसी की व्यवस्था रखी गई थी।

इस अवसर अवसर भोपाल सिंह परमार, राजेश जावरिया, राजेन्द्र कोठारी, राजू पंजाबी, कालूलाल जैन, चतर सिंह पामेचा, राजेन्द्र जवेरिया, अभय नलवाया, बंसत मारवाड़ी, चन्द्र सिंह बोल्या, रणजीत मेहता, हिम्मत मुर्डिया, दिनेश कोठारी, राकेश चेलावत, प्रकाश नागौरी, दिनेश बापना, प्रद्योत महात्मा, आरएल जैन सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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