उदयपुर । राष्ट्रसंत जैनाचार्य पुलक सागर महाराज के चातुर्मास निष्ठापन के साथ ही आचार्य जिन-जिन लाभार्थियों ने मंगल कलश का लाभ लिया उन के घर-घर जाकर उस कलश की स्थापना कर रहे हे। इसी के तहत बुधवार को अशोक नगर में चातुर्मास कलश के लाभार्थी कमला देवी, रंजना- जिनेश, अंजना-राजेश, निकिता -सिद्धार्थ, नेहल, कार्तिक व शांतनु टाया के घर आचार्य पुलक सागर महाराज की आहारचार्य एवं मंगल कलश की स्थापना की। पुलक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि आचार्य के मुखारविंद से मंत्रोच्चारण के पश्चात् मंगल कलश की स्थापना समस्त टाया परिवार द्वारा विधि विधान व पूजन क्रिया के साथ संपन्न की गई। उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को इस अवसर पर आचार्यश्री ने अपना मंगल आशीष प्रदान किया। परिवार के नये सदस्य आदिराज को अपने आचार्य पुलकसागर महाराज ने जैनत्व के संस्कार स्थापित किय। इस अवसर पर निर्मल सिंघवी, नानालाल रटोडिय़ा, सुरेंद्र संगावत, गेदांलाल फांदोत, विमल संगावत, राकेश टीमरवा सहित समाजजन मौजूद रहे।
अशोक नगर में टाया भवन में आयोजित धर्म सभा में आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहां कि हमारे हिंदुस्तान में रोजाना त्यौहार होते है, हम अपने घर में ऐसे जीते है जैसे रोज त्यौहार हो । कभी कभी तो ऐसा हो जाता है कि सुबह सप्तमी होती है और शाम को अष्टमी हो जाया करती है, त्योहारों का यह हमारा भारत देश है, यह दुनिया में कही नहीं मिलेगा । अंग्रेजी कैलेंडर को देखो वहां सिर्फ साल बदला करता है, और मेरे हिंदी पंचांग को उठाकर देखो, उसमें हर दिन त्यौहार मिला करता है । त्योहारों में हमारे अंदर एक उमंग होती है, घर में एक अलग सा माहौल होता है, संबंधों में प्रगाढ़ता आती है । एक घटना ऐसी घटती है, एक होता है जगत और एक होता है भगत । जगत साधनों में जिया करता है और भगत साधना में जीता है । तुम साधनों में जीते है हम साधना में जीते है । एक बात याद रखना जब कोई भगत इस दुनिया में आता है तो उसे कई प्रताडऩाओं का सामना करना पड़ता है । जब-जब सत्य की राह पर चलोगे दुनिया तुम्हारी विरोधी हो जाती है । जब हजार असत्य सामने खड़े हो तो एक सत्य को सूली पर लटका दिया जाता है । जब भी कोई प्रभावशाली शख्शियत इस धरती पर आई, तमाम मूर्ख उसके खिलाफ खड़े हो गए । मैं तो कहता हूं दो चार निंदक अपने साथ रखो, वो ही तुम्हे आगे बढ़ने का समय समय पर मौका देते रहेंगे।