पुरानी गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट 10 गुना महंगा, नई दरें लागू

नई दिल्ली।
केन्द्र सरकार ने पुरानी गाड़ियों के फिटनेस टेस्ट की फीस में बड़ा बदलाव किया है। नए नियमों के तहत अब 20 साल पुरानी कार का फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए करीब 15,000 रुपये, जबकि बाइक के लिए 2,000 रुपये तक देने होंगे। यह शुल्क पहले की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा है।
नई कैटेगरी के अनुसार फिटनेस शुल्क
वाहनों को अब उम्र के हिसाब से तीन श्रेणियों—
15 साल, 15 से 20 साल, और 20 साल से अधिक पुरानी—में रखा गया है।
इनमें सबसे अधिक शुल्क 20 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों पर लगेगा।
सरकार का कहना है कि सड़कों पर चल रहीं पुरानी गाड़ियां प्रदूषण के साथ सुरक्षा को भी प्रभावित करती हैं, इसलिए इन्हें वैज्ञानिक तरीके से टेस्टिंग सेंटरों पर जांचना जरूरी है। नई फीस ऑटोमेटेड टेस्टिंग सुविधाओं को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम बताया जा रहा है।
पुराने वाहन मालिकों पर असर
बढ़ी हुई फीस आम वाहन मालिकों की जेब पर सीधा असर डालेगी।
कमर्शियल वाहन मालिकों पर दबाव और ज्यादा बढ़ेगा।
महंगे फिटनेस टेस्ट के कारण कई लोग पुरानी गाड़ी बेचने या स्क्रैपिंग पॉलिसी की ओर रुख कर सकते हैं।
स्क्रैपिंग पॉलिसी को बढ़ावा
सरकार वर्ष 2030 तक सड़क पर ज्यादा से ज्यादा पुराने वाहनों को हटाना चाहती है। बढ़ी हुई फिटनेस फीस इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।
उम्मीद है कि गाड़ी मालिक अब फिटनेस कराने की बजाय नई गाड़ी लेने या पुराने वाहन को स्क्रैप कराने पर विचार करेंगे।
