फास्टैग को लेकर बड़ा बदलाव,: अब सिर्फ ₹3000 में साल भर कहीं भी यात्रा!

अब सिर्फ ₹3000 में साल भर कहीं भी यात्रा!
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सरकार अब देश की टोल वसूली प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाने जा रही है। इस नए प्रस्तावित FASTag (फास्टैग) पॉलिसी का मकसद है हाईवे पर यात्रा को आसान और झंझट-मुक्त बनाना। अगर आप गाड़ी चलाते हैं और नेशनल हाइवे पर अक्सर आते-जाते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।


नई प्रस्तावित नीति के तहत वाहन मालिकों को एक नया विकल्प मिल सकता है – सालाना पास । इसके जरिए आप सिर्फ 3000 रुपये सालाना भुगतान करके देश भर में नेशनल हाइवे, एक्सप्रेसवे और स्टेट एक्सप्रेसवे पर अनलिमिटेड सफर कर सकते हैं। इसका मतलब है कि बार-बार फास्टैग रिचार्ज करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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दो ऑप्शन - जैसा ट्रैवल वैसा पेमेंट

सरकार ने दो तरह के पेमेंट मॉडल सुझाए हैं:

सालाना पास : 3000 रुपये एक बार सालाना देकर पूरे देश में बिना दूरी की सीमा के ट्रैवल की सुविधा।

दूरी के हिसाब से भुगतान : अगर आप कम यात्रा करते हैं, तो ये मॉडल बेहतर हो सकता है। जहां हर 100 किमी के लिए 50 रुपये चुकाना होगा।

पुराने फास्टैग अकाउंट से ही होगा काम

जो लोग पहले से फास्टैग इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। कोई नया डॉक्युमेंट या अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं होगी। आप अपने पुराने फास्टैग अकाउंट से ही इस नई नीति को चुन सकते हैं। सरकार ने उस पुराने प्रस्ताव को भी वापस ले लिया है जिसमें 30,000 रुपये देकर 15 साल के लिए 'लाइफटाइम फास्टैग' लेने की बात की गई थी।

बैरियर फ्री टोल सिस्टम: अब रुकने की जरूरत नहीं

इस नई नीति का सबसे दिलचस्प हिस्सा है - बिना बैरियर वाला टोल सिस्टम। यानी अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। अभी जो सेंसर-बेस्ड सिस्टम है, उसे भी धीरे-धीरे हटाया जाएगा। इससे जाम कम होगा, पेट्रोल-डीजल की बचत होगी और सफर पहले से कहीं ज्यादा स्मूथ हो जाएगा।

टोल चोरी रोकेगी सरकार, बैंक को मिलेंगे ज्यादा अधिकार

टोल राजस्व में होने वाले बदलाव की भरपाई के लिए सरकार डिजिटल डाटा के आधार पर एक मुआवजा फॉर्मूला बना रही है। ताकि जिन कंपनियों ने टोल ठेका लिया है, उनका घाटा न हो। साथ ही, टोल चोरी रोकने के लिए बैंकों को भी ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे, जैसे कि फास्टैग में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने का दबाव।

फिलहाल यह है सिर्फ प्रस्ताव,



यह पूरी फास्टैग नीति अभी सरकार के विचाराधीन है, यानी लागू नहीं हुई है। लेकिन जब भी लागू होगी, यह भारत के करोड़ों ड्राइवरों के लिए यात्रा को सस्ता, तेज और आसान बना सकती है।

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