शराब विक्रेता को लेना होगा अब फूड लाइसेंस, नहीं तो लगेगा बड़ा जुर्माना

शराब विक्रेता को लेना होगा अब फूड लाइसेंस, नहीं तो लगेगा बड़ा जुर्माना


भीलवाड़ा। प्रदेश में अब शराब विक्रेताओं को भी फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य है। उल्लंघन पाए जानेपर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। मैं शराब की दुकानों की ब्रांच खोलने पर भी अंकुश लग पाएगा दूसरी दुकान के लिए अलग से लाइसेंस लेना होगा।

आबकारी विभाग ने एक जुलाई से सैंपलिंग के लिए अभियान चलाने की तैयारी कर ली है। आबकारी विभाग की नीतियों के कारण ठेकेदार नई दुकानें लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। शराब विक्रेताओं के लिए भी फूड लाइसेंस लेने का प्रावधान है, लेकिन अभी तक शराब विक्रेता फूड लाइसेंस लेते नहीं थे. जिसके चलते खाद्य सुरक्षा विभाग को सालाना करीब डेढ़ करोड़ रुपये के राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. हालांकि विभाग ने भी पहले कभी इतनी सख्ती नहीं दिखाई थी. अब विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पहले सभी शराब विक्रेताओं को फूड लाइसेंस के लिए समझाइश की जाए. इसके बाद प्रदेश में एक अभियान चलाकर फूड लाइसेंस नहीं लेने पर कार्रवाई की जाए.

अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज ओझा ने कहा कि FSSAI एक्ट के तहत शराब और बीयर की दुकानों को भी इसमें लिया गया है. अब शराब दुकानदारों को सालाना ये लाइसेंस लेना होगा. इसके लिए उन्हें दो हजार रुपये जमा कराने होंगे.

प्रदेश में शराब दुकानों की बात की जाए तो करीब 7665 दुकानें है. अभी तक इन दुकानदारों ने फूड लाइसेंस नहीं लिया है लेकिन अब सख्ती से इसे लागू करने की तैयारी है. माना जा रहा है कि इससे विभाग को सालाना डेढ़ करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. शराब कारोबारियों की ओर से लाइसेंस नहीं लेने पर सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. सभी दुकानदार लाइसेंस लेते हैं तो सरकार को एक साल में 1 करोड़ 53 लाख 30 हजार रुपए राजस्व मिलेगा.


कई बार देखा जाता है कि शराब में इथाइल अलकोहल की मात्रा ४यादा होने से उसका सेवन करने वाले लोग मर जाते हैं या मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं। भविष्य में ऐसा न हो या उन्हें शराब पीने से परेशानियां न झेलनी पड़ें, इसके लिए शराब की सैंपलिंग की जाएगी। शहर में बिकने वाली देशी शराब से लेकर इंटरनेशनल ब्रांडों की शराब पर भी फूड सेफ्टी विभाग की पैनी नजर रहेगी।

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