लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का लगातार दूसरी बार बनना तय

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का लगातार दूसरी बार बनना तय
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नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा के स्पीकर का चुनाव आज बुधवार को होना है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बनने के बाद वोटिंग की नौबत आई है। लोकसभा में सुबह 11 बजे मतदान होगा। इस तरह पांच दशक बाद वोटिंग से स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है। इससे पहले 1952 और 1976 में लोकसभा अध्यक्ष के लिए मतदान हुआ था। लेकिन इयत्ता माना जा रहा है कि ओम बिरला फिर लोकसभा के अध्यक्ष होंगे

ये है गणित

543 सीटों पर हुआ था लोकसभा चुनाव

293 सांसद हैं अभी NDA के पास

233 सांसद हैं INDI गठबंधन में

16 सांसद अन्य दलों के पास हैं


राजस्थान के कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से तीसरी बार निर्वाचित ओम बिरला ने सत्तारूढ़ भाजपा-नीत राजग की ओर से 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल किया। उनका मुकाबला कांग्रेस के केरल से सांसद के. सुरेश के साथ होगा। 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष रहे बिरला को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर हाड़ौती संभाग सहित पूरे राजस्थान के भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। करीब साढे़ तीन दशक पहले राजस्थान से कांग्रेस के बलराम जाखड़ लोकसभा के दो बार अध्यक्ष रहे।

ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर, 1962 को कोटा में हुआ। उनकी कर्मभूमि हमेशा कोटा ही रही। कोटा-बूंदी की जनता को वे अपना परिवार मानते हैं। उनके दिवंगत पिता श्रीकृष्ण बिरला सरकारी सेवा में थे, मां शकुंतला घर संभालती थीं। उन्होंने सरकारी मल्टीपर्पज स्कूल, गुमानपुरा से स्कूली शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से जुडे़ गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज कोटा से बी.कॉम. एवं एम.कॉम. की डिग्री ली। कॉलेज में भी वे छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में युवाओं में लोकप्रिय रहे। उसके बाद दो बार कोटा दक्षिण से भाजपा विधायक भी रहे। उनकी पत्नी डॉ. अमिता बिरला सरकारी चिकित्सक हैं। दो बेटियों में आकांक्षा सीए एवं अंजलि भारतीय प्रसाशनिक सेवा की अधिकारी हैं।

ओम बिरला ने 2019 से 2023 तक अध्यक्ष के रूप में लोकसभा में हंगामे और विवादों से परे सभी दलों के सांसदों को सदन में अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया। इससे महत्वपूर्ण विधेयकों व जनहित के मुद्दों पर स्वस्थ बहस करने की परम्परा विकसित हुई। बिरला के कुशल संचालन में 17वीं लोकसभा के सत्रों की उत्पादकता 122.2 प्रतिशत रही जो 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के पहले पांच सत्रों की तुलना में सर्वाधिक है। सदन ने विस्तृत चर्चा के बाद 107 विधेयकों को पारित किया। विधेयकों पर 262.5 घंटे चर्चा हुई तथा पक्ष-विपक्ष के 1744 सदस्यों ने अपनी बात रखी।

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