साइब्रर फ्रॉढ का नया तरीका बना डिजिटल अरेस्ट
हाई एजुकेटेड व हाई इनकम ग्रुप के लोगों को निशाना बना कर साइबर फ्रॉड किया जा रहा है। दरअसल, डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम का नया तरीका है। इसमें ठग आपको पुलिस या सीबीआई का अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करता है। फिर बताया जाता है कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड, मनी लांड्रिंग, टेररिस्ट कन्वर्जन, बैंक अकाउंट का उपयोग किसी गैरकानूनी काम के लिए हुआ है। यहां से आपको डराने-धमकाने का ‘खेल’ शुरू होता है। पूछताछ के नाम पर आपको वेबकैम, स्काइप से वीडियो कॉल पर आमने-सामने बैठाकर रखते हैं।
इस दौरान नकली पुलिस अफसरों से भी अलग-अलग नंबरों पर बात कराई जाती है। फिर जमानत के नाम पर ओटीपी (OTP) या जी मेल अकाउंट की डिटेल्स मांग ली जाती है। नागरिक डर जाते हैं और अपने बैंक खातों से संबंधी जानकारी साइबर अपराधी को दे देते हैं । इसे लेकर राजस्थान पुलिस व गृह मंत्रालय की ओर से लोगों को सतर्क कि या जा रहा है।
पूरी प्लानिंग के साथ करते हैं ठगी
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार, साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट करने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ काम करते हैं। जिस व्यक्ति से उन्हें ठगी करनी है उसका वह पूरा प्रोफाइल तैयार करते हैं। साइबर अपराधी यह जानते हैं कि किसी बड़े बिजनेसमैन, डॉक्टर और रिटायर्ड अधिकारियों को इलीगल ट्रांजेक्शन और मनी लांड्रिंग जैसे मामले में डराया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले साइबर अपराधी विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बड़े अधिकारियों की तस्वीर और एजेंसी के लोगों का जुगाड़ करते हैं।
उसके बाद अपने शिकार को फोन करके यह बताते हैं कि उनके खाते और मोबाइल सिम का उपयोग इलीगल ट्रांजेक्शन और मनी लांड्रिंग के लिए किया गया है। साइबर अपराधियों की धमकी से डरा हुआ व्यक्ति जब इस मामले से अपने आप को निर्दोष बताते हुए छोडऩे की गुहार करते हैं तब साइबर अपराधी उन्हें अलग- अलग अकाउंट नंबर देकर लाखों रुपए की डिमांड करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों के नाम के वारंट को देखकर लोग पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
लोगों को किया सतर्क
गृह मंत्रालय भी साइबर फ्रॉड के प्रति लोगों को सतर्क कर चुका है। गृह मंत्रालय के अनुसार, साइबर अपराधियों द्वारा ब्लैकमेल, जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट को लेकर बड़ी संया में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। अधिकतर अपराधी सीबीआई, नारकोटिक्स डिपार्टमेंट, रिजर्व बैंक और पुलिस विभाग के अधिकारी बनकर ठगी करते हैं। ऐसे मामलों में देशभर से कई पीडि़तों ने बड़ी मात्रा में अपना पैसा खोया है। इन्हें रोकने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है।
सावधानी ही एक मात्र है बचाव
चन्देल के अनुसार डिजिटल अरेस्ट से बचने का एकमात्र तरीका है सावधानी। लोगों को यह जानना होगा कि कोई भी सुरक्षा एजेंसी किसी भी व्यक्ति को वीडियो कॉल के जरिए कभी भी पूछताछ नहीं करती है। पूर्व में अगर कोई मामला न हो तो ऐसे में वारंट जारी ही नहीं हो सकता है। इन सब चीजों को आम लोगों को समझना जरूरी है।
कैसे बचें और कहां करें शिकायत?
-डराने या धमकाने का कोई कॉल आता है तो तुरंत पुलिस को इसके बारे में सूचना दें।
-अगर कोई आपको किसी खास एजेंसी का अधिकारी बन बात कर रहा है तो आप उस एजेंसी को कॉल कर मदद मांग सकते हैं।
-साइबर अपराधी अगर मोबाइल कॉल ना काटने दे तो भी आप फोन डिस्कनेक्ट कर दें।
-अपने दोस्तों और परिवार वालों को पूरी बात बताएं।
-कॉल के दौरान पैसों के लेन देन की बात न करें। कोई भी पर्सनल डिटेल भी शेयर न करें।
-ऐसा होने पर आप 1930 पर अथवा cybercrime. gov.in शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।