गौवंश और आमजन के साथ सड़क पर मर रही इंसानियत, राजनीति नहीं, स्थाई समाधान की दरकार

गौवंश और आमजन के साथ सड़क पर मर रही इंसानियत, राजनीति नहीं, स्थाई समाधान की दरकार
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कभी गोवंश तो कभी आमजन का बह रहा खून

भीलवाड़ा। लंबे समय से गोवंश के नाम पर राजनीति जारी है। शहर सहित जिलेभर में गोवंश के हित की बात करने भर से कई लोगों के सियासी सितारे चमक भी उठे। लेकिन जब आमजन और गोवंश दोनों को एक दूसरे के कारण हानि पहुंचती है तो तथाकथित पशुप्रेमियों के खेमे में सन्नाटा पसर जाता है। सडक़ पर कभी गोवंश तो कभी आमजन दोनों के आपस में टकराने खून ही बहना आम हो चला है, ऐसा इसलिए कि अभी बीती रात ही एक युवा को बीच सडक़ बैठे मवेशी के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी, दूसरी तरफ आए दिन गोवंश वाहनों की चपेट में घायल हो रहे है। हालांकि इन घायल गौवंश की मदद के लिए कई युवा संगठन कार्य भी कर रहे हैं। लेकिन सडक़ों पर विचरण करते मवेशियों की समस्या का स्थाई समाधान करने की दरकार है।

जान गंवा रहे लोग और मवेशी

हाइवे हो या शहर सड़क पर मवेशियों के अचानक सामने आ जाने के कारण आए दिन हादसे हो रहे है। अभी बीती रात ही जिले के बिजौलिया थाना अंतर्गत मकरेडी गांव में रास्ते पर बैठे एक बैल से टकराने के बाद बैल का सींग युवक की छाती को चीरते हुए आर पार निकल गया जिससे युवक की दर्दनाक मौत हो गई। बूंदी जिले के लाम्बा कुआ निवासी देवराज भील बिजौलिया के मकरेडी में रहकर पत्थर की खदान में मजदूरी करता था। वह अपनी माता से मिलने घर गया था। शाम करीब 8 बजे परिवार वालो से मिलकर वापस आ रहा था। इस दौरान मकरेडी गांव की तरफ ही अंधेरे की वजह से रास्ते मे बैठा बैल उसे दिखाई नहीं दिया। बाइक की टक्कर से वह छाती के बल गिरकर बैल के सींग से टकरा गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बैल का सींग उसकी छाती के आर पार हो गया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके अलावा कुछ दिन पहले अजमेर हाइवे पर कार ने मवेशियो से टकरा गई। गनीमत रही की दुर्घटना में कोई जनहानि नही हुई, लेकिन दो मवेशियों की मौके पर ही मौत हो गई।

गोवंश के टूट रहे पैर

लापरवाही के कारण आजकल ओवर स्पीड वाले वाहन से टकराकर गोवंश भी अधिक घायल हो रहे है। शहर में कार्यरत गौसेवक रोजाना इन घायल मवेशियों के उपचार में जुटे है। भले ही ये सेवा कार्य हो मगर उनका भी कहना है की दुर्घटनाओ से बचाव लिए स्थाई समाधान जरूरी है। बजरी भरे ट्रेक्टरो के अंधाधुध दौड़ने कई गौवंश के पैर टूट गए है।

बेघर पशु दिवस पर नहीं आई याद

बेघर पशु दिवस हर साल 17 अगस्त को मनाया जाता है, यह दिन बेघर और त्यागे गए पशुओं की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समर्पित है। इस दिन, जागरूकता फैलाने और उनके लिए सहायता जुटाने की विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।

बेघर पशुओं के लिए मदद कैसे की जा सकती है?

बेघर पशुओं की मदद के लिए उन्हें सुरक्षित घर प्रदान करना, उनकी चिकित्सा देखभाल का ध्यान रखना और उन्हें खाद्य सहायता देना जरूरी है, इसके अतिरिक्त, पशु गोद लेने के प्रयासों में भाग लेना और पशु संरक्षण संगठनों के साथ सहयोग करना भी महत्वपूर्ण है, समाज में जागरूकता फैलाने से भी बेघर पशुओं की स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

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