मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फैसला: चार साल सहमति से चले संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित

चार साल  सहमति से चले संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित
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जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण युवक के विरुद्ध दुष्कर्म की एफआईआर निरस्त कर दी। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि शिकायतकर्ता शासकीय सेवक युवती ने आर्थिक रूप से समृद्ध व परिपक्व होने के बावजूद एफआईआर दर्ज कराने में विलंब किया, उसके इस रवैये को तार्किक नहीं माना जा सकता।

हालांकि, शिकायतकर्ता युवती को स्वतंत्रता दी है कि वह अपने रुपये वापस पाने के लिए पृथक से सिविल केस दायर कर सकती है। नरसिंहपुर निवासी वीर सिंह राजपूत ने याचिका दायर कर उसके विरुद्ध दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि लंबे समय तक शिकायतकर्ता व याचिकाकर्ता के मध्य परिचय रहा।

शिकायतकर्ता के मन में न जाने क्या था कि जब याचिकाकर्ता का दूसरी युवती से विवाह तय हो गया तो उसने एफआईआर दर्ज करा दी। 2019 से 2023 तक शादी का प्रलोभन देकर दुष्कर्म करने का दोष मढ़ दिया।जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था। वहीं, पीड़िता की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ता ने न केवल शादी का झांसा देकर लंबे समय तक संबंध बनाए बल्कि उसे ब्लैकमेल करते हुए लाखों रुपये भी ऐंठे। हाई कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद दुष्कर्म का आरोप प्रमाणित नहीं पाया। इसी के साथ एफआईआर निरस्त करने का राहतकारी आदेश सुना दिया।

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से दावा किया गया कि वह प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहता है, इसीलिए यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका है। जबकि शिकायतकर्ता युवती की ओर से उसके वकील ने दलील दी कि यूपीएससी संबंधी दस्तावेज फर्जी हैं।

इस पर राज्य शासन की ओर से कोर्ट को पतासाजी कर अवगत कराया गया कि याचिकाकर्ता ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की है। इस संबंध में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के दस्तावेज भी साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किए गए।

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