भीलवाड़ा ,आज मनाई जा रही धनतेरस त्रिपुष्कर योग में , मिलेगा तीन गुना लाभ खरीदारी पर
भीलवाड़ा(हलचल)। दीपोत्सव का 6 दिवसीय प
पर्व आज धनतेरस से शुरू हो गया है आज यानी मंगलवार को त्रिपुष्कर योग में धनतेरस के साथ हर ओर पंच पर्व का उजास छाया हे। पहले दिन भगवान धनवंतरी के प्राकट्य दिवस मनाया जा रहा है। महामुहूर्त में बाजारों में हैं।
जमकर खरीदारी की जा रही है। आज शाम से ही बाजार रोशनी से नहाते हुए नजर आएंगे। भीलवाड़ा में सुरक्षा के तो इंतजाम भी किए गए हैं।इस साल रूप चतुर्दशी का यम दीपदान और अभ्यंग स्नान अलग दिन होगा। मुख्य पर्व दीपावली के लिए महत्वपूर्ण प्रदोषवेला और महानिशीथ काल में 31 अक्टूबर को महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। इसके बाद गोवर्धन पूजन 2 और भाईदूज 3 नवंबर को मनाई जाएगी।
धनतेरस :
खरीदारी का तीन गुना लाभ देने वाला त्रिपुष्कर के साथ ही लक्ष्मी नारायण योग मनाई जा रही है। इस दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।आज सोना-चांदी, बर्तन के साथ भूमि-भवन, इलेक्ट्रॉनिक सामग्री के साथ ही सभी प्रकार की चल-अचल संपत्ति की खरीदी को लाभप्रद बताया गया है।कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 6.31 बजे हुई जो 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे तक रहेगी।
रूप चतुर्दशी :
रूप चतुर्दशी पर इस वर्ष अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के दीपदान और रूप सौंदर्य के लिए अभ्यंग स्नान अलग-अलग दिन होगा। चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे होगी जो अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 3.52 बजे तक रहेगी।इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वधकर 16 हजार गोपियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था। आचार्य शिवप्रसाद तिवारी बताते है कि अभ्यंग स्नान के लिए शुभ समय 31 को सुर्योदय से पहले 5.20 से 6.32 बजे तक एक घंटा 13 मिनिट रहेगा।इसके चलते 30 को प्रदोष काल में यम दीपदान होगा।
दीपावली : देवी महालक्ष्मी से होगी सुख-समृद्धि की कामना
पंच पर्व का सबसे मुख्य दिन कार्तिक अमावस्या पर सभी प्रकार के वैभव प्रदान करने वाली देवी महालक्ष्मी का पूजन 31 अक्टूबर को होगा। अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 03.53 से 1 नवंबर को शाम 06.17 बजे तक रहेगी।दीपावली पर्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रदोष वेला एवं महानिशीथ काल 31 को ही मिल रहे हैं। अतः इस वर्ष दीपावली पर्व उदया चतुर्दशी तिथि में 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।पर्व काल होने से सम्पूर्ण दिवस पर्यंत पूजन कर सकते हैं।घर-आंगन दीप और रंगोली से सजाकर आतिशबाजी होगी।
गोवर्धन पूजन :
पंच पर्व का चौथा पर्व गिरिराज और भगवान कृष्ण को समर्पित है।इस दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजने के साथ ही मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव के आयोजन किए जाते हैं।इसके अतिरिक्त राजा बलि की पूजा भी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की उदया तिथि में की जाती है।इस वर्ष प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर को शाम 6.16 से अगले दिन 2 नवंबर को रात 8.21 बजे तक रहेगी। इसके चलते उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजन 2 अक्टूबर को होगा।इस अवसर पर मठ-मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव के आयोजन होंगे।
भाई दूज:
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है।इस दिन भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज और चित्रगुप्त पूजन 3 नवंबर को होगा। द्वितीया तिथि 2 नवंबर को रात 8.21 से 3 नवंबर को रात 10.05 बजे तक रहेगी।
इस दिन बहने रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्जवल भविष्य के लिए अशीष देती है।पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना ने भाई यम देवता को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया था।