नहाय खाय के साथ भीलवाड़ा में चार दिवसीय छठ पूजा का आगाज
भीलवाड़ा(हलचल)। वस्त्र नगरी में दीपावली के पंच दिवसीय पीवी के बाद अब चार दिवसीय पर्व छठ का आगाज मंगलवार को नहाय खाय से हुआ। इसका समापन 8 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अध्र्य देने के साथ होगा। आज छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय से हुई। छठ व्रत करने वाली महिलाओ ने तड़के मानसरोवर, नेहरू तलाई व अन्य जलाशयों में पवित्र डुबकी लगाई और एक बार भोजन किया। चार दिनों के इस महापर्व में बुधवार को खरना पर्व मनाया जाएगा। महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहती हैं। शाम के समय गुड़ से बनी खीर का सेवन करेगी। गुरुवार शाम को सभी व्रतधारी महिलाएं और पुरूष नदी, जलाशय और घर पर बने कृत्रिम कुण्ड किनारे छठ माता की पूजा करेंगी और पानी में खड़े होकर डूबते सूरज को अध्र्य देंगी। रातभर जागरण के बाद शुक्रवार तड़के पुन: नदी, जलाशय, कुण्ड पर जाएंगे। फिर से पानी में खड़े होकर इस बार उगते सूर्य को अध्र्य देंगे। इसी के साथ चार दिवसीय छठ पर्व समाप्त होगा।
नहाय-खाय का महत्व
छठ पर्व शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो चुका है। छठ में नहाय-खाय का विशेष महत्व है, क्योंकि यह छठ पर्व के 36 घंटे के कठिन व्रत के लिए तैयार होने का दिन है। नहाय-खाय का महत्व इसलिए भी माना जाता है कि इस दिन किए जाने वाला सात्विक भोजन जहां व्रती को तीन दिन तक चलने वाली पूजा के लिए मानसिक व शारीरिक रूप से मजबूत बना देता है, वहीं 36 घंटे के कठिन व्रत के लिए शक्ति भी प्रदान करता है।