थानेदार नारायण सिंह व कांस्टेबल अशोक पर एसीबी ने दर्ज की एफआईआर

भीलवाड़ा बीएचएन। बदनौर थाने के तत्कालीन प्रभारी नारायण सिंह व कांस्टेबल अशोक बिश्नौई पर एसीबी मुख्यालय ने धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (यथा संशोधन 2018) 1988 सहपठित धारा 61 (2) बीएनएस 2023 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। इसकी जांच पुलिस निरीक्षक कंचन भाटी को सौंपी गई है।

एसीबी सूत्रों के अनुसार, जौधपुर जिले के बावड़ी क्षेत्र के डावरा निवासी श्रवणराम बिश्नौई ने रविवार को एक शिकायत दी कि उसके भतीजे रामपाल को 15 दिसंबर को ब्यावर जिले के बार थाने में एनडीपीएस् एक्ट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले की तफ्तीश बदनौर थाना प्रभारी नारायण सिंह कर रहे हैं। परिवादी के मुताबिक इस मामले में आरोपी को जेल भिजवाने, मारपीट नहीं करने और दूसरे मुल्जिम को अरेस्ट नहीं करने के लिए तीन लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई।

एसीबी ने रविवार को शिकायत का सत्यापन करवाया, इस दौरान थाना प्रभारी नारायण सिंह और कांस्टेबल अशोक ने बात करने के बाद कांस्टेबल अशोक ने परिवादी से थाने के बाहर चाय की थड़ी पर परिवादी से 40 हजार रुपए ले लिए। पूरा सौदा एक लाख में हुआ। रिश्वत की बाकी 60 हजार रुपए की रकम अगले दिन देना तय हुआ। इस पर 45 हजार रुपए देने के लिए ट्रैप का आयोजन किया। टीम ट्रैप के लिए पहुंची, लेकिन कांस्टेबल अशोक खुद परिवादी के पास नहीं आया, उसने एक स्टूडेंट् को रुपए लेने भेजा। राशि लेने के बाद जब एसीबी ने स्टूडेंट को दस्तयाब किया तो पता चला कि वह अशोक के कहने पर आया था। अशोक से जब बात करने का प्रयास किया तो मोबाइल स्वीच ऑफ मिला।

थाना प्रभारी व कांस्टेबल हुये फरार, थाने में मुल्जिम तलाश में जाने की रपट दर्ज

इस ट्रैप को अंजाम देने के लिए एसीबी टीम बदनौर थाने पहुंची। जहां थाना प्रभारी सिंह और कांस्टेबल अशोक की तलाश की, मगर दोनों थाने पर नहीं मिले। थाना प्रभारी के क्वार्टर पर भी ताला लगा मिला। कांस्टेबल अशोक के मकान पर भी अशोक की पत्नी मिली, अशोक नहीं मिला। एसीबी ने जब थाना स्टॉफ से जानकारी ली तो रोजनामचे में थानेदार व कांस्टेबल की मुकदमे में मुल्जिम तलाश के लिए नीमच के लिए रवानगी होने की जानकारी मिली, जबकि डीएसपी का कहना था कि सूत्रों से जानकारी मिली कि दोनों को एसीबी कार्रवाई की भनक लगने से वे थाने से फरार हो गये।

इसलिये गिरफ्तार नहीं हुये हीरा व कैलाश

एसीबी की एफआईआर में बताया गया है कि परिवादी से रिश्वत राशि के 45 हजार रुपये प्राप्त करने वाले कैलाश गुर्जर व उसके साथ मौजूद हीरालाल को एसीबी ने गिरफ्तार नहीं करने का इसलिये निर्णय लिया क्यूंकि दोनों के खिलाफ उक्त ट्रैप कार्रवाई में किसी प्रकार की कोई वार्ता दर्ज नहीं मिली। वहीं लेन-देन के संबंध में भी कैलाश व हीरालाल को किसी प्रकार की कोई जानकारी होना नहीं पाई गई।

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