किशोरों के लिए 'डिजिटल दोस्त' बना , असल दुनिया से हो रहे दुर.....

किशोरों के लिए डिजिटल दोस्त बना , असल दुनिया से हो रहे  दुर.....
X
No


भीलवाड़ा (विजय गढ़वाल )।

आज के दौर में तकनीक बच्चों और किशोरों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इसी तकनीक का एक नया खतरा सामने आ रहा है। ChatGPT जैसे एआई चैटबॉट्स किशोरों के 'डिजिटल दोस्त' बनते जा रहे हैं — वे अपनी समस्याएं, भावनाएं और निजी बातें इन्हीं बॉट्स से साझा कर रहे हैं।

इस ट्रेंड को लेकर शिक्षकों और मनोचिकित्सकों में गहरी चिंता जताई जा रही है। भीलवाड़ा के कई स्कूलों में भी शिक्षकों ने देखा है कि बच्चे अब असल बातचीत में झिझकते हैं और अपने मोबाइल में गुम रहते हैं। घरों में भी ऐसी स्थिति देखी जा रही हे।

शिक्षिका अनीता ने बताया, "अब बच्चे असली दोस्तों से कम और फोन में बैठे चैटबॉट से ज्यादा बात करते हैं। यह आदत उनके सामाजिक विकास के लिए हानिकारक है।"

मनोचिकित्सक का कहना है कि, “AI बॉट्स हमेशा बच्चों की हां में हां मिलाते हैं, जिससे उन्हें लगता है कि उनकी हर सोच सही है। इससे वे आलोचना और असहमति को सहन नहीं कर पाते और वास्तविक दुनिया से कटने लगते हैं।”

विशेषज्ञों का मानना है कि इस डिजिटल निर्भरता से बच्चों में अकेलापन, आत्ममुग्धता और अवसाद जैसे मानसिक संकट भी जन्म ले सकते हैं।

अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की गई है कि वे बच्चों को खुले में खेलने, दोस्तों के साथ समय बिताने और भावनाओं को वास्तविक संवाद के ज़रिए व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें।

> "बच्चों को तकनीक का सही इस्तेमाल सिखाना आज की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।"

डा दुष्यंत शर्मा

सिद्धिविनायक हॉस्पिटल




सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव

इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स के बढ़ते उपयोग ने महिलाओं पर अत्यधिक दबाव बना दिया है। अपनी पोस्ट पर ज्यादा से ज्यादा लाइक्स पाने की चाह असल में उनके आत्मसम्मान के लिए घातक है। जब वह दूसरों की पोस्ट्स देखती हैं तो उन्हें अपनी छवि को बनाए रखने, दूसरों के जीवन से तुलना करने और सामाजिक मानकों पर खरा उतरने का दबाव महसूस होने लगता है, जो धीरे-धीरे मानसिक तनाव और घटते आत्मसम्मान के रूप में सामने आने लगता है।

निजी संबंधों पर विपरीत प्रभाव

डिजिटल ओवरलोड का असर निजी संबंधों पर भी पड़ता है। परिवार और दोस्तों के साथ बिताया जाने वाला समय कम होने लगता है और रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं। बहुत ज्यादा लंबी अवधि तक स्क्रीन के सामने रहने से शारीरिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते आंखों में जलन, नजर कमजोर होना, नींद पूरी ना होना और सिरदर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

Tags

Next Story