पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक: :सरकार-चुनाव आयोग टकराव के बीच गांवों में हलचल, सरपंच दावेदारों की बढ़ी बेचैनी

:सरकार-चुनाव आयोग टकराव के बीच गांवों में हलचल, सरपंच दावेदारों की बढ़ी बेचैनी
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भीलवाड़ा । राजस्थान में पंचायत चुनावों को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सोमवार को सरकार को राहत देते हुए एकलपीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें तुरंत चुनाव कराने और प्रशासकों को हटाने को कहा गया था।यह मामला अब सिर्फ अदालत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सरकार बनाम चुनाव आयोग की खींचतान और गांव-गांव में फैलती सियासी हलचल का चेहरा बन गया है।

गांवों में बढ़ी सरपंच दावेदारों की बेचैनी

कार्यकाल पूरा कर चुके सरपंचों को फिलहाल प्रशासक बना दिया गया है। गांवों में यही सबसे बड़ी चर्चा है। कई पूर्व सरपंच चाहते हैं कि जल्दी चुनाव हों ताकि जनता के बीच जाकर फिर से अपनी पकड़ बना सकें। वहीं, कई को डर है कि देरी से चुनाव कराने का फायदा सत्ताधारी दल को मिलेगा।

एक सरपंच ने हलचल टीम से कहा—

“हम गांव के काम संभाल रहे हैं लेकिन जनता सवाल पूछ रही है कि चुनाव कब होंगे। सरकार और अदालत में केस चलते हैं, लेकिन दबाव हमें झेलना पड़ता है।”

जनता की राय: लोकतंत्र बनाम राजनीति

गांवों के चौपालों पर चर्चा गर्म है। लोग पूछ रहे हैं कि अगर विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हो सकते हैं तो पंचायत चुनाव क्यों टाले जा रहे हैं?

एक किसान रामलाल ने तंज कसते हुए कहा—

“नेता वोट मांगने के लिए समय पर आ जाते हैं, लेकिन पंचायत चुनाव में सब बहाने बनाने लगते हैं। इससे लोकतंत्र कमजोर होता है।”

सरकार का पक्ष: "एक साथ चुनाव ज़रूरी"

राज्य सरकार का तर्क है कि पंचायतों और निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाएं। महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने अदालत में कहा कि अलग-अलग चुनाव से प्रशासनिक संसाधनों पर बोझ बढ़ता है। इसलिए सरकार ने अस्थायी तौर पर प्रशासकों को जिम्मेदारी दी है।

विपक्ष का कहना है कि सरकार को ग्रामीण इलाकों में जनता का गुस्सा पता है, इसलिए वह चुनाव टालने की कोशिश कर रही है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि पंचायत चुनावों की देरी से सरकार की नीयत साफ झलकती है।

डिवीजन बेंच के आदेश से सरकार को राहत तो मिल गई है, लेकिन गांवों में माहौल गर्म हो चुका है। पंचायत चुनाव का यह विवाद अब सिर्फ कानूनी लड़ाई नहीं बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र की कसौटी बन गया है।

अब देखना होगा कि हाईकोर्ट और चुनाव आयोग के अगले फैसले से राजस्थान की पंचायत राजनीति किस करवट बैठती है।


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