रखें सेहत का ख्याल: बारिश के बाद तेजी से बढ़ रहा वायरल इंफेक्शन, भीलवाड़ा के अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

भीलवाड़ा हलचल पिछले कुछ दिनों से भीलवाड़ा में बारिश ने मौसम का मिजाज़ ऐसा बदला कि लोगों की सेहत पर आफत टूट पड़ी है। दिन में उमस भरी गर्मी और रात में हल्की ठंड ने बीमारियों का ऐसा तांडव मचाया कि निजी और जिला अस्पताल मरीजों की भीड़ से अट गए । वायरल बुखार, टाइफाइड, मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों ने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया, लेकिन सरकारी अस्पताल की बदहाल व्यवस्था ने मरीजों की मुश्किलें और बढ़ा दीं। पर्चा काउंटर से लेकर दवा वितरण कक्ष तक लंबी-लंबी कतारें, घंटों का इंतज़ार, और अव्यवस्थाओं का आलम—यह सब मरीजों के लिए किसी सजा से कम नहीं।
अस्पताल में अव्यवस्था का आलम
जिला अस्पताल में शुक्रवार को मरीजों की भारी भीड़ उमड़ी। वायरल बुखार, जुकाम, और गले की खराश से पीड़ित लोग इलाज के लिए भटकते नज़र आए। लेकिन क्या मिला? लंबी कतारें, अव्यवस्थित प्रबंधन, और घंटों की प्रतीक्षा। मरीजों को पर्चा बनवाने से लेकर दवा लेने तक नाकों चने चबाने पड़े। यह हाल तब है, जब डॉक्टरों का कहना है कि उमस भरे मौसम ने वायरल संक्रमण को बढ़ावा दिया है, और हर दिन ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सवाल यह है कि जब बीमारी का प्रकोप इतना बढ़ रहा है, तो अस्पताल प्रशासन की तैयारी इतनी लचर क्यों?
वायरल संक्रमण का कहर
डॉक्टरों के मुताबिक, उमस भरे मौसम ने वायरल संक्रमण को हवा दी है। गले में खराश, सूखी खांसी, बुखार, और निगलने में तकलीफ जैसे लक्षणों ने लोगों को परेशान कर रखा है। मरीजों की शिकायतें सुनें तो हालात और गंभीर लगते हैं। अंजू कहती हैं, “बुखार से शरीर तप रहा है, निजी डॉक्टरों से दवा ली, लेकिन आराम नहीं। जिला अस्पताल आए, लेकिन यहां भी लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है।” गुड़िया की आंखों से पानी बह रहा है, बुखार ने जकड़ रखा है। कविता और अनिता जैसी कई महिलाओं ने बताया कि बारिश रुकने के बाद बुखार ने उन्हें जकड़ लिया, और अस्पताल में साफ-सफाई की कमी साफ दिखती है।
बचाव के उपाय: जागरूकता जरूरी
डॉक्टरों ने मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। पूरी बाजू के कपड़े पहनें, ठंडा पानी और पेय पदार्थों से परहेज करें, बार-बार भीगने से बचें। गले में खराश हो तो गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करें और मास्क का इस्तेमाल करें। सबसे अहम, बीमारी की शुरुआत में चिकित्सक की सलाह लें। लेकिन सवाल यह है कि जब अस्पताल ही अव्यवस्था का शिकार हो, तो मरीज जाएं तो जाएं कहां?
प्रशासन की नाकामी
यह शर्मनाक है कि बढ़ते मरीजों के बावजूद जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को तुरंत कदम उठाने चाहिए। मरीजों की भीड़ को संभालने के लिए अतिरिक्त काउंटर, डॉक्टर, और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। साफ-सफाई पर ध्यान देना होगा, ताकि मरीजों को और बीमारियों का खतरा न हो। अगर यही हाल रहा, तो भीलवाड़ा में स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है।मौसम के कारण विगत एक सप्ताह से मरीजों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है। यह बुखार बच्चे, जवान व बुजुर्गो को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इस बुखार के उतर जाने के बाद भी लोग परेशान रहते है। बुखार की चपेट में आने वाले रोगियों को सर्दी, खांसी व गले में तेज दर्द की परेशानी होती है और कमजोरी आ जाती है।
वायरल बुखार के साथ-साथ सिरदर्द, बदन दर्द, सांस और पेट संबंधित बीमारी से भी परेशान मरीज इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंच रहे हैं। सुबह से ही मरीज अस्पताल में पहुंचने लगते है। अधिकांश मरीज सुबह अस्पताल खुलने से पहले ही पहुंच जाते हैं और ओपीडी खुलने का इंतजार करते रहते हैं।
