थानों पर अब रहेगी चौकस नजर, सीसीटीवी कैमरे बनेंगे ‘चौकीदार’

भीलवाड़ा राजकुमार माली ।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस महकमे में हलचल मच गई है। थानों की दहलीज पर कदम रखने वाले हर व्यक्ति की हरकत अब कैमरे की पैनी नजर में कैद होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद प्रदेशभर में पुलिस थानों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे अब किसी भी हालत में बंद नहीं होंगे। यह आदेश केवल तकनीकी व्यवस्था नहीं, बल्कि उन नागरिकों के लिए सुरक्षा कवच है, जिनकी आवाज अक्सर थाने की चारदीवारी में दब जाती थी।
अब नहीं चलेगी बहानेबाजी
अभी तक कई मामलों में देखा गया कि जब किसी आरोपी या पीड़ित ने थाने में हुई बदसलूकी की शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस का एक ही जवाब सामने आता था—"सीसीटीवी कैमरा खराब था"। रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं थी और मामला हवा हो जाता था। मगर अब यह रास्ता बंद कर दिया गया है। कैमरे 24 घंटे चालू रहेंगे, फुटेज हार्ड डिस्क में सुरक्षित रखी जाएगी और इसका जिम्मा सीधे थाने के एसएचओ पर होगा।
जवाबदेही तय
अब हर रोज रोजनामचे में लिखा जाएगा कि कैमरे चालू हैं और रिकॉर्डिंग हो रही है। कोई खराबी आई तो तत्काल जयपुर स्थित स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को सूचना देनी होगी। यानी बहानेबाजी का दरवाजा बंद और पारदर्शिता की खिड़की खुल गई।
मासिक जांच से बढ़ेगी पारदर्शिता
सर्किल सीओ को हर महीने की शुरुआत में हार्ड डिस्क से फुटेज देखना होगा। यह देखना उनकी जिम्मेदारी होगी कि कहीं किसी नागरिक के साथ थाने में उत्पीड़न तो नहीं हुआ। यदि हुआ तो उसकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करनी होगी। यानी अब थाने की चारदीवारी में होने वाले हर छोटे-बड़े व्यवहार पर ऊपरी स्तर से नजर रहेगी।
एसपी की सीधी निगरानी
सिविल राइट्स एवं एएचटी महानिदेशक मालिनी अग्रवाल ने सभी जिला एसपी को निर्देश दिए हैं कि वे थानों में सीसीटीवी और हार्ड डिस्क की सक्रियता सुनिश्चित करें। सर्किल सीओ को हर महीने के पहले सप्ताह में रिकॉर्डिंग की जांच कर यह पुष्टि करनी होगी कि थाने में किसी नागरिक के साथ उत्पीड़न या बदसलूकी की घटना तो नहीं हुई। इस जांच का ब्योरा एक रजिस्टर में दर्ज करना होगा। यह व्यवस्था न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाएगी, बल्कि आमजन के साथ होने वाली ज्यादतियों पर भी नकेल कसेगी। मालिनी अग्रवाल ने सभी एसपी को साफ शब्दों में कहा है कि थानों में कैमरे सक्रिय रहें और फुटेज स्पष्ट आए। जिले के कप्तान की सीधी निगरानी से यह साफ है कि लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं होगी।
किन जगहों पर अनिवार्य हैं कैमरे?
थाने का मुख्य द्वार, प्रवेश और निकासी के रास्ते, सभी लॉकअप, गलियारे, लॉकी और स्वागत कक्ष—इन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों का होना अनिवार्य है। कैमरों की गुणवत्ता ऐसी हो कि फुटेज साफ और पढ़ने योग्य हो।
क्यों जरूरी है यह व्यवस्था?
थानों में बदसलूकी और प्रताड़ना की शिकायतें लगातार आती रही हैं। कई बार पीड़ित पक्ष अदालत का दरवाजा खटखटाता है, लेकिन सबूत न होने के कारण न्याय अधूरा रह जाता है। अब कैमरे उन लोगों की आंख बनेंगे जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं।
नागरिकों का भरोसा, पुलिस की परीक्षा
यह फैसला नागरिकों के लिए राहत की खबर है, लेकिन पुलिस महकमे के लिए यह एक कड़ी परीक्षा भी है। अब थाने के गलियारों में गूंजने वाली आवाजें और वहां होने वाले व्यवहार कैमरे में कैद होंगे। छोटे से छोटा उत्पीड़न भी कैमरे की गवाही से बाहर नहीं रह पाएगा।
‘बिग ब्रदर’ का दबाव या पारदर्शिता की गारंटी?
कुछ पुलिसकर्मियों को यह व्यवस्था "बिग ब्रदर इज वॉचिंग" जैसी लग सकती है। मगर सच्चाई यही है कि थानों की गतिविधियां जितनी पारदर्शी होंगी, जनता का भरोसा पुलिस पर उतना ही बढ़ेगा। कैमरे केवल निगरानी का औजार नहीं, बल्कि पुलिस और जनता के बीच भरोसे की डोर को मजबूत करने का साधन बन सकते हैं।
