भीलवाड़ा में हैवानियत -: नवजात का मुंह फेवी क्विक से चिपका पत्थरों के नीचे दबाया , चरवाहों ने सुनी चीख तो बची नन्ही जान

भीलवाड़ा BHNइंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना मंगलवार को सामने आई। बिजौलियां-माल का खेड़ा रोड स्थित सीताकुंड के जंगलों में एक 10-12 दिन का नवजात पत्थरों के बीच दबा हुआ मिला। हैवानियत की हद यह रही कि मासूम का मुंह फेवी क्विक से चिपका दिया गया था। यदि समय पर चरवाहों ने बच्चे की दबे स्वर में आती चीख न सुनी होती, तो शायद यह मासूम जिंदा न बचता।
चरवाहों ने ऐसे बचाई जान
पशु चराने गए चरवाहों को जंगल से करुण चीखें सुनाई दीं। जब वे पास पहुंचे तो पत्थरों के बीच से आवाजें आ रही थीं। तत्काल ग्रामीणों और नज़दीक मंदिर पर मौजूद लोगों को बुलाया गया। सभी ने मिलकर पत्थर हटाए तो वहां जिंदगी के लिए तड़पता हुआ मासूम मिला। गर्मी और दबाव से उसका शरीर झुलस चुका था और मुंह का कुछ हिस्सा फेवी क्विक से बंद था।
तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया
सूचना पर बिजौलियां थाने से दीवान ताराचंद मय जाब्ता मौके पर पहुंचे। नवजात को 108 एंबुलेंस से बिजौलियां अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का लेफ्ट साइड शरीर झुलसने से घायल है, लेकिन फिलहाल उसकी हालत स्थिर है।
कुमाता की तलाश में पुलिस
मामला मांडलगढ़ थाना क्षेत्र का होने से जांच वहां ट्रांसफर की गई है। सब इंस्पेक्टर शंकर सिंह ने मामले की जानकारी ली है। वहीं नवजात को सुरक्षित जिला अस्पताल भेज दिया गया है। अब पुलिस उस कुमाता (निर्दयी मां) की तलाश में जुटी है, जिसने अपने ही मासूम को मौत के मुंह में धकेलने की कोशिश की।
गांव में आक्रोश और दहशत
घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है। लोग कह रहे हैं कि मां जैसी ममता रखने वाली शक्ल से ऐसी हैवानियत की उम्मीद नहीं की जा सकती। गांवभर में चर्चा है कि इंसानियत इतनी गिर चुकी है कि कोई अपने ही खून को पत्थरों के नीचे दबा दे और उसका मुंह तक सील कर दे।
