Security breach of railway passengers: Woman forced to share seat with stranger on RAC quota: रेल यात्रियों की सुरक्षा में खलल: आरएसी कोटे पर अनजान के साथ महिला को सीट साझा करने की मजबूरी

रेल यात्रियों की सुरक्षा में खलल: आरएसी कोटे पर अनजान के साथ महिला को  सीट साझा करने की मजबूरी
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त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में ट्रेनों में भीड़ बढ़ने के साथ ही रेलवे द्वारा आरएसी कोटे में यात्रियों को राहत देने के लिए एक ही सीट दो यात्रियों को साझा करने की व्यवस्था शुरू की गई है। लेकिन इस व्यवस्था ने सुरक्षा और असहजता के सवाल खड़े कर दिए हैं।

कई महिलाओं ने रेलमंत्री और जोनल रेलवे अकाउंट्स को लिखा कि रात के लंबे सफर में किसी अनजान पुरुष के साथ सीट साझा करना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने पूछा, “यदि कोई घटना घटती है तो जिम्मेदार कौन होगा?” वहीं पुरुष यात्रियों ने भी चिंता जताई कि किसी महिला के साथ सीट साझा करना गलतफहमी या विवाद का कारण बन सकता है।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि वे यात्रियों की शिकायतों को गंभीरता से ले रहे हैं। टीटीई स्टाफ के अनुसार, कोशिश की जाती है कि अकेली महिला यात्री महिला के साथ और पुरुष यात्री पुरुष के साथ बैठें। लेकिन सीमित सीटों के कारण हर स्थिति में समाधान संभव नहीं होता।

रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया कि अकेली महिला यात्री यदि "महिला कोटा" में टिकट बुक कराती हैं, तो उन्हें आमतौर पर महिलाओं के साथ ही सीट मिलती है। लेकिन सामान्य कोटे से आरएसी में आने पर कभी-कभी असुविधा होती है। ऐसे में रेलवे स्टाफ और "मेरी सहेली" टीम सक्रिय रहती हैं ताकि किसी भी महिला यात्री को सुरक्षा संबंधी जोखिम न हो।

**सवाल:** क्या रेलवे को आरएसी कोटे में सीट साझा करने की नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि यात्रियों की सुरक्षा और असहजता को प्राथमिकता दी जा सके?


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