धनतेरस पर इन चीजों की खरीदारी से खुलेंगे भाग्य के द्वार, जानें शुभ मुहूर्त

धनतेरस पर इन चीजों की खरीदारी से खुलेंगे भाग्य के द्वार, जानें शुभ मुहूर्त
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भीलवाड़ा हलचल । महालक्ष्मी पूजन से दो दिन पहले खरीदी का महामुहूर्त धनतेरस 18 अक्टूबर को होगा। इस अवसर पर मंगलकारी ब्रह्म व बुद्धादित्य योग के साथ फाल्गुन नक्षत्र की त्रिवेणी में बाजार में धन बरसेगा। ज्योतिर्विदों के मुताबिक इस मंगलकारी संयोग में सोना-चांदी, बर्तन के साथ ही भूमि, भवन, मकान, दुकान के अतिरिक्त सभी प्रकार की चल-अचल संपत्ति की खरीदी स्थायी शुभ फल प्रदान करेगी। इस मौके पर सराफा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक के अतिरिक्त अन्य सभी नए पुराने बाजार खरीदारों से गुलजार रहेंगे।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन ब्रह्म एवं बुद्धादित्य योग का शुभ संयोग बन रहा है। यह संयोग लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाला माना गया है। तुला राशि में बुध और सूर्य की युति बनने से यह संयोग निर्मित हो रहा है। त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर शनिवार को दोपहर 12.20 बजे दूसरे दिन 19 अक्टूबर रविवार को दोपहर 01.52 बजे तक रहेगी । उदयाकाल में त्रयोदशी तिथि 19 अक्टूबर को है। लेकिन धनतेरस पर्व के लिए प्रदोषवेला एवं महानिषीथ काल की महत्ता बताई गई है, जो शनिवार को मिल रहा है।


अतः धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर शनिवार को एकमत से मनाया जाएगा। भगवान धनवंतरी, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर का पूजन की ज्योतिर्विद कान्हा जोशी के अनुसार धनतेरस पर भगवान धनवंतरी, देवी लक्ष्मीऔर धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है। इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा पीछे मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है। यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए।

शुभ मुहूर्त में समृद्धि के लिए सात धान्यों की पूजा ज्योर्तिविद शिवम तिवारी ने बताया कि इस दिन नए उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है। शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है। सात धान्य गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर हैं। सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्ण पुष्प के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है। इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिए नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है।

धन तेरस पर खरीदारी के शुभ मुहूर्त

सुबह 07.51 से 09.17 एवं रात 9.03 से 10.36 बजे तक। चर : दोपहर 12.09 से दोपहर 01.35 बजे तक। लाभ: दोपहर 01.36 से 03.01 एवं शाम 5.53 से 7.27 बजे तक। अमृत: दोप 03.02 से 04.27 बजे तक।





भीलवाड़ा हलचल।

महालक्ष्मी पूजन से दो दिन पहले खरीदी का महामुहूर्त धनतेरस 18 अक्टूबर (शनिवार) को मनाया जाएगा। इस दिन मंगलकारी ब्रह्म योग, बुद्धादित्य योग और फाल्गुन नक्षत्र के संयोग से बाजारों में रौनक और धनवर्षा के आसार हैं। ज्योतिर्विदों के अनुसार इस विशेष त्रिवेणी योग में सोना-चांदी, बर्तन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, भूमि, भवन और अन्य चल-अचल संपत्तियों की खरीदी स्थायी शुभ फल देने वाली मानी गई है।

धनतेरस का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 18 अक्टूबर दोपहर 12:20 बजे से 19 अक्टूबर दोपहर 1:52 बजे तक रहेगी। हालांकि उदयकाल में त्रयोदशी 19 अक्टूबर को पड़ रही है, लेकिन प्रदोष वेला और महानिशीथ काल शनिवार को मिलने से ज्योतिषाचार्यों ने धनतेरस 18 अक्टूबर को ही मनाने की घोषणा की है।

धनतेरस पर भगवान धनवंतरी, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी दिन यमराज को दीपदान करने की परंपरा भी है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात जलाना शुभ माना गया है।

ज्योतिर्विद विक्रम सोनी के अनुसार धनतेरस पर नए बर्तन, सिक्के, गहने और उपहारों की खरीदारी करना अत्यंत शुभ होता है। पूजा के समय सात धान्यों — गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की पूजा की जाती है। साथ ही स्वर्ण पुष्प से देवी लक्ष्मी का पूजन और श्वेत मिष्ठान्न का नैवेद्य अर्पित करने से समृद्धि आती है।

धनतेरस पर खरीदारी के शुभ मुहूर्त:

प्रातः: 07:51 से 09:17 बजे तक

दोपहर (चर): 12:09 से 01:35 बजे तक

दोपहर (लाभ): 01:36 से 03:01 बजे तक

दोपहर (अमृत): 03:02 से 04:27 बजे तक

संध्या (लाभ): 05:53 से 07:27 बजे तक

रात्रि: 09:03 से 10:36 बजे तक

इस शुभ संयोग में बाजारों में सराफा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ने की संभावना है।


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