भीलवाड़ा में अतिक्रमण का मामला हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंचा,: नगर निगम पर अतिक्रमण हटाने के प्रति उदासीनता का आरोप

भीलवाड़ा हलचल। शहर के बीचोंबीच फैले अतिक्रमण की समस्या अब अदालत की दहलीज तक पहुंच गई है। इंदिरा मार्केट क्षेत्र में सड़कें और फुटपाथ अवैध कब्जों में तब्दील हो चुके हैं। दुकानदारों और ठेले वालों द्वारा सार्वजनिक मार्गों पर किए जा रहे कब्जों के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ताओं दुर्गेश शर्मा, गोपाललाल सुथार और संजय पालीवाल ने राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर में एक जनहित याचिका दायर की है।
नगर निगम पर गंभीर आरोप — अतिक्रमण हटाने में उदासीनता
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नगर निगम, पुलिस प्रशासन और सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) को वर्षों से इस समस्या की जानकारी है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए जाने के बावजूद नगर निगम और स्थानीय प्रशासन अभी भी सुस्त रवैया अपनाए हुए हैं।
दुर्गेश शर्मा ने हलचल को बताया, “इंदिरा मार्केट से रेलवे स्टेशन तक का इलाका अब बाजार नहीं, बल्कि अतिक्रमण का बाजार बन चुका है। सड़कें आधी दुकानों में समा गई हैं, तो आधी ठेलों और बैनरों में।”
फुटपाथ गायब, सड़कें 10 से 15 फीट तक कब्जे में
रेलवे स्टेशन से गोल प्याऊ चौराहे तक पैदल चलना अब चुनौती बन गया है। फुटपाथ पूरी तरह गायब हैं। दुकानदारों ने सड़कों पर 10 से 15 फीट तक अवैध कब्जा कर लिया है। बरामदे जो कभी राहगीरों के लिए छांव देते थे, अब दुकानों का हिस्सा बन चुके हैं।
इसी तरह, नागौरी गार्डन में सरकारी दुकानों के बरामदों में भी कारोबार फैल चुका है। फुटपाथों पर ठेले, बैनर और गाड़ियों का कब्जा आमजन के लिए सिरदर्द बन गया है।
जनहित याचिका का कानूनी आधार और उद्देश्य
यह जनहित याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय नियम, 1952 के नियम 385-A तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर की गई है।
इसका उद्देश्य —
इंदिरा मार्केट क्षेत्र से अवैध कब्जे हटाना,
पैदल यात्रियों और वाहन चालकों के लिए सुगम यातायात व्यवस्था बहाल करना,
और प्रशासन को त्वरित कार्रवाई के लिए बाध्य करना है।
सार्वजनिक हित में अदालत से अपेक्षा
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया है कि जिला प्रशासन, नगर निगम, PWD और पुलिस विभाग को सख्त निर्देश दिए जाएं ताकि जल्द से जल्द अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जा सके।
याचिका में कहा गया है कि यदि प्रशासन ने अब भी आंखें मूंदे रखीं तो आने वाले समय में शहर के प्रमुख बाजारों में आवागमन पूरी तरह ठप हो सकता है, जिससे व्यापारिक और सामाजिक गतिविधियां भी प्रभावित होंगी।
जनता त्रस्त, प्रशासन मूक
भीलवाड़ा के नागरिकों का कहना है कि अतिक्रमण के कारण ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा चुकी है। आए दिन जाम, झगड़े और हादसों की घटनाएं आम हो गई हैं। “नगर निगम सिर्फ अभियान की घोषणाएं करता है, लेकिन कार्रवाई कभी नहीं दिखती,” स्थानीय निवासी कहते हैं।
