कोविड टीके के दुष्प्रभाव के दावे पर सुप्रीम कोर्ट में बहस तेज, अदालत ने कहा — “ब्रिटेन के आंकड़ों पर भरोसा, भारत के क्यों नहीं?”

कोविड टीके के दुष्प्रभाव के दावे पर सुप्रीम कोर्ट में बहस तेज, अदालत ने कहा — “ब्रिटेन के आंकड़ों पर भरोसा, भारत के क्यों नहीं?”
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नई दिल्ली। कोविड-19 टीकों को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में गूंज सुनाई दी। गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने टीकों के दुष्प्रभाव को लेकर उठाए गए दावों पर गंभीर सवाल खड़े किए। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से पूछा — “आप ब्रिटेन सरकार के आंकड़ों पर भरोसा करते हैं, लेकिन भारत सरकार के आंकड़ों पर नहीं? आखिर ऐसा क्यों?”

यह टिप्पणी अदालत ने उस समय की जब याचिकाकर्ताओं की ओर से दावा किया गया कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद हुई मौतों के मामले भारत में “चिंताजनक रूप से कम” बताए गए हैं और असल में यह संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है।

कोर्ट ने सुरक्षित रखा आदेश

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की दो सदस्यीय पीठ ने सुनवाई पूरी कर इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया। अदालत ने सभी पक्षों से अपनी-अपनी दलीलें लिखित रूप में पेश करने को कहा है।

पीठ ने कहा कि वह सभी तथ्यों, आंकड़ों और प्रस्तुत तर्कों पर गंभीरता से विचार करेगी और उसके बाद ही अंतिम आदेश सुनाएगी।

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दो महिलाओं की मौत का मामला बना केंद्रबिंदु

मामले की जड़ 2021 की दो घटनाओं से जुड़ी है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद दो महिलाओं की मौत हुई थी। दावा किया गया कि दोनों को वैक्सीन लगने के बाद गंभीर दुष्प्रभाव हुए और अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत के समक्ष कहा कि भारत में कोविशील्ड वही टीका है जो ब्रिटेन में भी इस्तेमाल हुआ। लेकिन, उनके अनुसार, “ब्रिटेन अपने आंकड़े पारदर्शी ढंग से जारी कर रहा है जबकि भारत में मौतों के आंकड़े दबाए जा रहे हैं।”

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गोंजाल्विस ने पेश किए आंकड़े, कहा — 33 हजार मौतें संभावित

गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि ब्रिटेन के आंकड़ों की तुलना भारत से करने पर यह अनुमान निकलता है कि टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभावों के चलते भारत में लगभग 33 हजार लोगों की मौत हो सकती है।

उन्होंने यह भी मांग की कि इस मामले की जांच स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति से कराई जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि टीकों से जुड़ी मौतों या गंभीर दुष्प्रभावों की वास्तविक स्थिति क्या है।

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सरकार का जवाब — “टीके सुरक्षित, आंकड़े पारदर्शी”

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर पहले भी सुप्रीम कोर्ट विचार कर चुका है और फैसला भी दे चुका है।

उन्होंने अदालत को बताया कि भारत में दिसंबर 2024 तक 220 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाए जा चुके हैं, और अब तक दर्ज किए गए दुष्प्रभावों के मामले बेहद सीमित हैं।

भाटी ने कहा, “भारत ने दुनिया के सबसे बड़े और सुरक्षित टीकाकरण अभियानों में से एक को सफलतापूर्वक पूरा किया है। सभी आंकड़े सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध हैं।”

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अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर

अदालत ने कहा कि वह केंद्र और याचिकाकर्ताओं दोनों के पक्षों का विश्लेषण करने के बाद अपना आदेश सुनाएगी।

देशभर में अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर हैं जो यह तय करेगा कि क्या कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभावों से जुड़ी शिकायतों की स्वतंत्र जांच कराई जाएगी या नहीं।

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