लो हो गया, अब घर बनाना और जमीन खरीदना भी महंगा: महंगाई की मार के बीच आम आदमी पर बढ़ा नया बोझ

भीलवाड़ा विजय गढ़वाल । रोजमर्रा की चीज़ों से लेकर किराना, सब्जियां और ईंधन तक सब पर बढ़ती महंगाई पहले ही लोगों की कमर तोड़ रही है। ऊपर से अब घर बनाने और जमीन खरीदने वालों को एक और झटका लगा है। राजस्व विभाग ने राजस्थान में आरसीसी छत वाले मकानों और व्यावसायिक निर्माण की रजिस्ट्री दरें बढ़ा दी हैं। इसका सीधा असर आमजन की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि रजिस्ट्री करते समय अब पहले से ज्यादा स्टांप ड्यूटी देनी पड़ेगी।
पहले आरसीसी निर्माण की रजिस्ट्री 1200 रुपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से होती थी, जिसे अब बढ़ाकर 1800 रुपए प्रति वर्ग फीट कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब हर वर्ग महंगाई को लेकर पहले ही परेशान है। निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट, सरिया, ईंट और मजदूरी दरें बीते महीनों में लगातार बढ़ रही हैं। अब रजिस्ट्री शुल्क में इजाफे ने घर बनाने के सपने को और दूर कर दिया है।
कितना बढ़ गया खर्च
900 वर्ग फीट के मकान पर पहले निर्माण लागत 10 लाख 80 हजार रुपए मानी जाती थी। अब नई दरों के अनुसार यही निर्माण लागत 16 लाख 20 हजार रुपए हो गई है। यानी इस अंतर 5 लाख 40 हजार रुपए पर अब अतिरिक्त स्टांप ड्यूटी देनी होगी। ऐसे में मध्यम वर्ग के लिए घर की रजिस्ट्री कराना अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा साबित होगा।
सरकारी आदेश के तहत मल्टी स्टोरी शॉपिंग मॉल, बेसमेंट या मल्टीप्लेक्स वाले भवनों की लागत भी बढ़ाई गई है। पहले 1815 रुपए प्रति वर्ग फीट की दर से गणना होती थी, अब इसे 2100 रुपए कर दिया गया है। वहीं बिना मल्टीप्लेक्स वाले मॉल की लागत 1430 से बढ़ाकर 2000 रुपए कर दी गई है।
पट्टी वाले मकान की दर भी बढ़ी
पहले पट्टी वाले मकान की दर 600 रुपए प्रति वर्ग फीट थी, जिसे बढ़ाकर अब 1000 रुपए कर दिया गया है। यानी ग्रामीण और उपनगरीय इलाकों में भी मकान बनाना पहले जितना आसान नहीं रहा।
बाउंड्रीवाल और औद्योगिक शेड भी नहीं बचे
खाली प्लॉट पर बनी बाउंड्रीवाल की लागत 400 रुपए प्रति रनिंग मीटर से बढ़ाकर अब 500 रुपए कर दी गई है। वहीं औद्योगिक प्लॉट पर बने शेड या वेयरहाउस की लागत 3000 रुपए प्रति वर्ग मीटर से बढ़ाकर 5000 रुपए कर दी गई है। इसका असर उद्योग जगत और व्यापारियों पर भी पड़ेगा।
किसानों पर दोहरी मार
महंगाई पहले ही किसानों की लागत बढ़ा रही है। बीज, खाद, डीजल और मजदूरी के बढ़े दाम खेती को महंगा बना चुके हैं। ऊपर से अब कृषि भूमि खरीद पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा। पहले पेरीफेरी क्षेत्र में एक हजार वर्ग मीटर से कम कृषि भूमि पर आवासीय दर लागू होती थी। अब यह सीमा बढ़ाकर दो हजार वर्ग मीटर कर दी गई है।
इसका मतलब है कि जो किसान छोटी जोत की जमीन खरीदना चाहता था, उसे अब आवासीय दरों के अनुसार डीएलसी राशि देनी होगी। ये दरें कृषि दरों से कई गुना ज्यादा होती हैं, जिससे छोटे किसानों पर आर्थिक दबाव और बढ़ जाएगा।
लोगों की राय
रजिस्ट्री कराने पहुंचे रामलाल ने कहा कि उन्होंने पिछले सप्ताह सामान जमा करवाने से पहले डीएलसी दर पूछी थी। लेकिन दस्तावेज़ तैयार करवाने पहुंचे तो दरें बढ़ चुकी थीं। 900 वर्ग फीट के मकान पर अब उन्हें पहले की तुलना में काफी अतिरिक्त राशि देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा—“अगर एक हफ़्ते पहले रजिस्ट्री करा लेता तो लाखों रुपये बच जाते।”
क्या असर पड़ेगा
रियल एस्टेट बाजार में सुस्ती बढ़ सकती है।
खरीदारों को अपनी योजनाओं पर रोक लगानी पड़ेगी।
बिल्डर्स को प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने के चलते कीमतें और ऊपर तय करनी होंगी।
आम लोगों के घर बनाने का सपना और महंगा हो जाएगा।
महंगाई की मार झेल रहा मध्यम वर्ग अब रजिस्ट्री शुल्क में बढ़ोतरी से और दबाव महसूस करेगा। सरकार की यह नई दरें लागू होते ही आमजन पर एक और आर्थिक भार जुड़ गया है।
