बड़ा एक्शन- हिडमा के बाद अब टॉप नक्सल कमांडर देवजी का खात्मा , डेढ़ करोड़ का था ईनाम

बड़ा एक्शन- हिडमा के बाद अब टॉप नक्सल कमांडर देवजी  का खात्मा , डेढ़ करोड़ का था ईनाम
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छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश की सीमा पर बुधवार को भी सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ जारी रही। लगातार दूसरे दिन सुरक्षा बलों ने नक्सल संगठन को एक और बड़ा झटका दिया है। मंगलवार को खूंखार नक्सल कमांडर माड़वी हिड़मा के मारे जाने के बाद आज उसी इलाके में नक्सलियों की केंद्रीय समिति के सदस्य और शीर्ष कमांडर थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवजी को ढेर कर दिया गया।

सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ स्थल से सभी शव और हथियार बरामद कर लिए हैं। 4 नक्सलियों की पहचान हो चुकी है, 3 के बारे में पुष्टि की जा रही है। बड़ी कार्रवाई में 50 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 2 एके-47 सहित 8 हथियार जब्त किए गए हैं।

देवजी को जिस स्थान पर मार गिराया गया, वह वही इलाका है जहां पिछले 24 घंटों में हिडमा भी मारा गया था। लगातार दो दिनों में नक्सल टॉप लीडरशिप पर इतने बड़े प्रहार ने पूरे संगठन की कमर तोड़ दी है।

कौन था नक्सली कमांडर देवजी

आंध्रप्रदेश के कुख्यात नक्सली बसवाराजू की मौत के बाद देवजी को संगठन का नया महासचिव नियुक्त किया गया था।

• पूरा नाम – थिपिरी तिरुपति

• अन्य नाम – कुमा दादा, चेतन, संजीव, सुदर्शन, रमेश

• उम्र – लगभग 64 साल

• पिता – वेंकट नरसैया

• जाति – SC (मडिगा)

• मूल निवासी – अंबेडकर नगर, कोरुतला मंडल, जिला जगित्याल, तेलंगाना

• शिक्षा – इंटरमीडिएट (12वीं)

देवजी पिछले चार दशक से नक्सल संगठन में सक्रिय था और संगठन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का प्रमुख भी रह चुका था। दक्षिण भारत में नक्सली नेटवर्क को मजबूत करने में उसकी बड़ी भूमिका मानी जाती है।

डेढ़ करोड़ के इनामी देवजी की खूनी विरासत

• देवजी पर सरकार ने 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था।

• गोवा से लेकर केरल तक एक नया गुरिल्ला जोन खड़ा करने की रणनीति का निर्माता।

• माओवादी नेता किशनजी की मौत के बाद बंगाल पहुंचा, लालगढ़ आंदोलन का नेतृत्व किया।

• अप्रैल 2010 दंतेवाड़ा हमले (76 जवान शहीद) का मास्टरमाइंड माना जाता है।

• 2007 रानीबोदली हमला , जिसमें 55 जवान शहीद हुए, उसकी ही योजना थी।

• 2025 में संगठन ने उसे औपचारिक रूप से महासचिव का पद दिया।

नक्सल संगठन को करारा झटका

पिछले 24 घंटे में हिडमा और देवजी जैसे शीर्ष कमांडरों के मारे जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि नक्सली नेतृत्व अब पूरी तरह हिल चुका है। मुठभेड़ क्षेत्र में अभी भी सर्च ऑपरेशन चल रहे हैं और कई और नक्सलियों के छिपे होने की आशंका है। यह ऑपरेशन नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में सबसे बड़े संयुक्त अभियानों में से एक साबित हो रहा है।

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