सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन: जयपुर में शराबी डम्पर चालक से 15 लोगों की मौत के बाद भी हाईवे पर खुलेआम चल रही शराब दुकानें

भीलवाड़ा हलचल प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अनदेखी किस हद तक हो रही है, इसका सबसे दर्दनाक उदाहरण हाल ही में जयपुर में देखने को मिला। जहां एक शराबी डम्पर चालक ने मदहोशी में पंद्रह लोगों को कुचल दिया। यह हादसा पूरे प्रदेश को झकझोर गया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस त्रासदी के बाद भी जिम्मेदार विभागों ने अपनी आंखें नहीं खोलीं।सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में साफ आदेश दिया था कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से पांच सौ मीटर की दूरी तक शराब दुकानों को हटाया जाए, क्योंकि हाईवे पर तेज गति से चलने वाले वाहनों में शराब पीकर ड्राइविंग दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है। यह गाइडलाइन देश भर में भेजी गई, कई राज्यों ने इसका पालन किया, लेकिन राजस्थान आज भी इन नियमों के पालन में सबसे पीछे खड़ा है।
राजस्थान में स्थिति यह है कि न केवल राष्ट्रीय राजमार्ग बल्कि बस स्टैंड और मुख्य बाजारों में भी शराब दुकानें खुली हुई हैं। भीलवाड़ा सहित प्रदेश के कई जिलों में स्टेट और नेशनल हाईवे पर दर्जनों दुकानों पर खुलेआम शराब बेची जा रही है। कुछ दुकानें अंग्रेजी दवाइयों की दुकानों की आड़ में चल रही हैं, तो कहीं खेतों में अस्थायी चलती फिरती शराबखाने खोल दिए गए हैं। दुकानदारों ने ऐसे भ्रामक बोर्ड लगा रखे हैं, जिन्हें देखकर कोई भी समझ नहीं पाएगा कि अंदर शराब बिक रही है।
जांच में यह भी सामने आया कि कई दुकानदार खेत किराए पर लेकर वहां रास्ता और शेड बनवाकर मुख्य दुकाने की आड़े में शाखा दुकानें चला रहे हैं। एक ठेकेदार ने बताया कि उसने तीन हजार रुपये में खेत किराए पर लिया , हजारों रुपये शेड और रास्ता बनाने में लगा दिए, फिर ग्राहक आसानी से पहुंच जाते हैं। ट्रक ड्राइवर तो हाईवे के किनारे अपना वाहन रोककर सीधे इन खेतों वाले अड्डों तक जाते दिख जाते हैं। वहां देसी और अंग्रेजी दोनों तरह की शराब के साथ चाय, पान, अंडे और नमकीन तक आसानी से मिल जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शराब दुकानों के सभी विज्ञापन और साइनबोर्ड हटाने का भी निर्देश दिया था, लेकिन जमीन पर हालात बिल्कुल उलट हैं। हाईवे के किनारे बड़ी संख्या में इन दुकानों के चमकदार बोर्ड लगे हैं जो लोगों को खुलेआम शराब खरीदने का आमंत्रण देते हैं। कई बस्तियों और मोहल्लों में स्कूलों और धार्मिक स्थलों के नियमों का उल्लंघन कर शराब दुकानें खोली गई हैं। इससे युवा नशे का आसान शिकार बन रहे हैं, लेकिन सरकार आंखें मूंदे बैठी है।
MPहाईकोर्ट ने जताई चिंता
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी हैरानी जताई। हाल ही में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि कैसे हाईवे से पांच सौ मीटर के दायरे में शराब दुकानों की अनुमति दी गई। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है और इन दुकानों को बंद या शिफ्ट करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से पांच सौ मीटर के भीतर किसी भी स्थिति में शराब दुकान नहीं हो सकती। लेकिन राजस्थान में हर दिन हाईवे पर बिकती शराब और लगातार होते हादसे यह साबित कर रहे हैं कि आदेश केवल कागज पर मौजूद हैं और जमीनी हालात इसके बिल्कुल विपरीत।
