मनरेगा नाम बदलने के बाद अब नोटों से गांधी की तस्वीर हटाने की तैयारी का आरोप, विपक्ष का बड़ा दावा

साल 2025 के अंत में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मोदी सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलकर वीबी जी राम जी बिल करने से जुड़ा विधेयक पारित किया। इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी भी मिल चुकी है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह पूरी तरह नया कानून है और इसका पुराने मनरेगा कानून से कोई संबंध नहीं है।
वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने इस कानून के जरिए मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने का रास्ता साफ कर दिया है। इसी मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। अब विपक्ष की ओर से एक और बड़ा दावा सामने आया है, जिसने सियासी हलकों में हलचल बढ़ा दी है।
माकपा के राज्यसभा सांसद ब्रिटास ने आरोप लगाया है कि सरकार अब भारतीय मुद्रा नोटों से भी महात्मा गांधी की तस्वीर हटाने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर उच्च स्तर की बैठक भी हो चुकी है। ब्रिटास ने दावा किया कि भले ही भारतीय रिजर्व बैंक इस बात से इनकार करे, लेकिन केंद्र सरकार इस दिशा में सोच बना चुकी है।
दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए सांसद ब्रिटास ने कहा कि आधिकारिक इनकारों के बावजूद इस मुद्दे पर पहली बार हाई लेवल मीटिंग हुई है। उन्होंने कहा कि यह महज अनुमान नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के प्रतीकों को नए सिरे से गढ़ने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा है। उनका कहना है कि गांधी जी की तस्वीर हटाकर सरकार भारतीय संस्कृति को बेहतर रूप में दर्शाने वाले किसी अन्य प्रतीक को मुद्रा नोटों पर लाने पर विचार कर रही है, जिसमें भारत माता का चित्र भी एक विकल्प बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार वर्ष 1969 में भारतीय करेंसी नोटों पर छापी गई थी। यह नोट गांधी जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर जारी किया गया था। उस समय भारतीय रिजर्व बैंक ने 100 रुपये का स्मारक नोट जारी किया था, जिसमें सामने की ओर गांधी जी का चित्र था। इससे पहले भारतीय नोटों पर ब्रिटिश शासकों या अशोक स्तंभ जैसे प्रतीकों का उपयोग होता था। बाद में वर्ष 1996 में महात्मा गांधी श्रृंखला की शुरुआत हुई, जिसके बाद गांधी जी की तस्वीर सभी प्रमुख भारतीय नोटों पर नियमित रूप से छपने लगी।
