भीलवाड़ा से लेकर बिजौलिया तक पहाड़ छलनी!: अवैध खनन से बढ़ा खतरा, विस्फोटों से गांवों में दहशत और मेजा बांध पर संकट,जिम्मेदार ...।

*पांसल, दरीबा, समोडी सहित कई गांवों के लोग परेशान
* सीमाएं बदलती रहती हे मिलीभगत के आरोप
भीलवाड़ा। अरावली बचाओ को लेकर आंदोलन और प्रदर्शन किए का रहे हे लेकिन जिले में अरावली पर्वत श्रृंखला को लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा है।उस पर अब तक किसी ने ठोस आवाज नहीं उठाई थी वजह हे कि भीलवाड़ा शहर की सीमा से सटे क्षेत्रों के साथ ही बिजौलिया इलाके में खनन ठेकेदारों द्वारा डायनामाइट से पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है। इन तेज विस्फोटों से न केवल अरावली का प्राकृतिक स्वरूप तेजी से खत्म हो रहा है, बल्कि आसपास के गांवों में रहने वाले लोग भी भय के साए में जीने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे मेजा बांध की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार स्पष्ट सीमांकन नहीं होने का फायदा उठाकर दिन में निर्धारित सीमा के भीतर और रात के समय सीमा से बाहर अवैध खनन किया जा रहा है। इस गंभीर स्थिति के बावजूद जिम्मेदार विभागों की ओर से अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे खनन माफिया के हौसले और बढ़ते जा रहे हैं।

भीलवाड़ा शहर से सटे दरीबा, समोड़ी और पांसल क्षेत्र में राजस्व रिकॉर्ड में पहाड़ के रूप में दर्ज भूमि पर बड़े पैमाने पर खनन हो चुका है। इन इलाकों में अब पहाड़ों की जगह गहरे गड्ढे और पानी से भरे तालाब दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि कई स्थानों पर करीब सौ फीट तक पहाड़ को खोद दिया गया है। इन क्षेत्रों में खनन पट्टों के साथ क्रेशर लगाए गए हैं, जहां दिन रात काम चल रहा है।
सीमा निर्धारण के लिए लगाई गई मुड्डियों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ये मुड्डियां सुविधानुसार आगे पीछे की गई हैं, जिससे असली सीमा को लेकर भ्रम बना हुआ है और अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है।
रात के समय डायनामाइट से किए जा रहे विस्फोटों के कारण कोटड़ी, दरीबा, पांसल सहित आसपास के गांवों में कई घरों में दरारें आने की बातें सामने आ रही हैं। लोगों का कहना है कि तेज धमाकों से वे रात में सो नहीं पाते। इन संवेदनशील क्षेत्रों में खुलेआम चल रहे अवैध खनन पर खनिज विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पुलिस प्रशासन की चुप्पी को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।
