शादी-विवाह थमे, अब 145 दिनों बाद फिर गूंजेंगी शहनाइयां

शादी-विवाह थमे, अब 145 दिनों बाद फिर गूंजेंगी शहनाइयां
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बीते 14 अप्रैल से आरंभ हुए विवाह समारोहों पर सोमवार से विराम लग गया। अब 145 दिनों बाद फिर शहनाईयां गूंजेंगी। आठ जून को अंतिम विवाह मुहूर्त था। लिहाजा आखिरी दिन शहर में वैवाहिक कार्यक्रमों की धूम रही। 12 जून को गुरु ग्रह अस्त हो जाएंगे । ऐसे में मान्यतानुसार गुरु ग्रह के उदय होने तक फिर विवाह नहीं होंगे। गुरु ग्रह नौ जुलाई तक अस्त रहेंगे।

इसके अलावा अगले महीने यानि छह जुलाई देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। इस कारण जुलाई से एक नवंबर तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे। इस तरह आठ जून से एक नवंबर के बीच 145 दिनों तक विवाह समारोहों पर विराम रहेगा।


रविवार को रही विवाह कार्यक्रमों की धूम

शुभ मुर्हुत के अंतिम दिन रविवार को विवाह कार्यक्रमों का आयोजन कराने वाले शहर के मैरिज गार्डन में अच्छी खासी रौनक रही।

27 दिनों तक गुरु अस्त, फिर लगेगा चातुर्मास

ज्योतिषाचार्यो के अनुसार विवाह के लग्न मुहूर्त देखते समय गुरु व शुक्र ग्रह का अच्छी स्थिति में होना जरूरी होता है। इनमें से एक भी ग्रह अस्त होने या खराब स्थिति में होने पर उस तिथि में विवाह का मुहूर्त नहीं बनता है। देवगुरु बृहस्पति और शुक्र देव को विवाह के लिए कारक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं तो जल्द शादी के योग बनते हैं। इन दोनों ग्रहों के कमजोर होने पर विवाह में बाधा आने लगती है।

यह भी माना जाता है कि गुरु और शुक्र तारा के अस्त होने पर विवाह नहीं किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में 12 जून से से नौ जुलाई के बीच गुरु ग्रह 27 दिन के लिए अस्त होने वाले हैं। गुरु ग्रह अस्त होने के कारण विवाह कार्य नहीं होगा। वहीं, छह जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास लगने के चलते विवाह नहीं होंगे।

इनमें पर प्रतिबंध

धर्माचार्यों और ज्योतिषाचार्यो के अनुसार गुरु ग्रह अस्त रहने व चातुर्मास में शादी विवाह नहीं किए जाते हैं। इस दौरान लगन, गृह प्रवेश, जनेऊ और मुंडन जैसे कोई भी मांगलिक कार्य भी नहीं किए जाते हैं। नया घर या वाहन आदि खरीदने की भी मनाही होती है

ये कार्य हो सकते

इस अवधि में अन्नप्राशन, जातकर्म और सीमान्त जैसे कार्य करने की मनाही नहीं है। इस दौरान ये कार्य कर सकते हैं। इस दौरान नियमित पूजा-पाठ या दान आदि धार्मिक कार्य किये जा सकते हैं । ऐसे कार्यों मे मुहूर्त, गुरु अस्त होने या चातुर्मास का कोई बंधन नहीं माना जाता है। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति गया में अपने पितरों का श्राद्ध कर्म या तर्पण करना चाहे तो कर सकता है।

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