GST में बड़ा खुलासा :: डीजीजीआई ने 20 लोहे की फर्मों पर 94 करोड़ की देनदारी निकाली, भीलवाड़ा भी रहा चर्चा में

लखनऊ। वस्तु एवं सेवाकर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) की लखनऊ जोनल इकाई ने प्रदेश की 20 लोहे की फर्मों पर टैक्स चोरी के गंभीर आरोपों में कार्रवाई करते हुए लगभग 94 करोड़ रुपये की बकायेदारी निकालते हुए संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जांच में टैक्स चोरी के लिए फर्जी बिलिंग और बिना इनवॉइस बिक्री की बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है।
डीजीजीआई ने विस्तृत जांच के बाद मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज एलएलपी (झांसी व सागर यूनिट), मीना काशी री-रोलर्स प्राइवेट लिमिटेड (दतिया), संबंधित ट्रांसपोर्टर, वितरक और कामधेनु लिमिटेड सहित कुल 20 फर्मों और व्यक्तियों को नोटिस जारी किया है। इन फर्मों के नेटवर्क का संबंध यूपी के लखनऊ, कानपुर, झांसी, बरेली, वाराणसी, नोएडा समेत एमपी के कई जिलों तक फैला हुआ है।
कैसे हुआ खुलासा
यह कार्रवाई डीजीजीआई को मिली एक गुप्त सूचना के आधार पर शुरू हुई। लखनऊ के जानकीपुरम में स्थित वितरक रिप्पन कंसल के यहां छापेमारी के दौरान “शकुन” नामक सॉफ्टवेयर मिला, जिसमें हजारों बिक्री वाउचर दर्ज थे। इनमें ‘X’ निशान वाले वाउचर बिना टैक्स बिल की बिक्री को दर्शाते थे। फोरेंसिक जांच में यह डेटा मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज झांसी और सागर यूनिट से जुड़ा पाया गया।
टैक्स चोरी के दो बड़े तरीके
1. क्लैंडेस्टाइन सप्लाई (बिना इनवॉइस): टीएमटी बार की खेप ट्रांसपोर्ट बिल्टी पर भेजी जाती थी, लेकिन टैक्स इनवॉइस नहीं बनता था।
2. कम वैल्यू वाले इनवॉइस: 18 लाख की खेप का बिल सिर्फ ₹7.36 लाख में बनाया जाता था ताकि टैक्स घटाया जा सके।
इन तरीकों से करोड़ों रुपये का कारोबार टैक्स रिकॉर्ड से बाहर रखा गया। शुरुआती जांच में ही मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज एलएलपी झांसी पर 32.56 करोड़ रुपये की कुल देनदारी (सीजीएसटी, एसजीएसटी, ब्याज और पेनाल्टी सहित) पाई गई।
डीजीजीआई ने सभी यूनिट्स और संचालकों से जवाब मांगा है। यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो सीजीएसटी अधिनियम की धारा 74(1) के तहत वसूली और अभियोजन कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि राजस्थान, विशेषकर भीलवाड़ा में भी इसी तरह की टैक्स चोरी और फर्जी बिलिंग के मामलों में पहले कार्रवाई हो चुकी है, जिससे व्यापक स्तर पर कर विभाग सख्त रुख अपना चुका है।
