सरकारी योजनाओं के पैसों की घपलेबाजी का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड समेत 30 गिरफ्तार

सरकारी योजनाओं के पैसों की घपलेबाजी का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड समेत 30 गिरफ्तार
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झालावाड़ पुलिस ने ऑपरेशन "शटरडाउन" के तहत सरकारी जन कल्याणकारी योजनाओं में घोटाले का खुलासा किया। आरोपियों ने जोधपुर, कोटा, बूंदी और दौसा जिलों की सरकारी योजनाओं का पैसा अपने कब्जे में ले रखा था। मामले में पुलिस ने 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जिसमें मास्टरमाइंड रामावतार सैनी भी शामिल है। रामावतार ने अपनी पूरी टीम के साथ मिलकर सरकारी योजनाओं का फर्जी लाभ उठाया और करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की। वह अपने एजेंटों के माध्यम से किसानों और अन्य लाभार्थियों के खाते से सरकारी धन निकालता था।

52 लाख रुपए बरामद

जांच के दौरान यह सामने आया कि रामावतार सैनी ने जोधपुर, कोटा, बूंदी और दौसा में एक बड़ा नेटवर्क बना रखा था। इन 4 जिलों से उसने अपात्र लोगों के बैंक खातों का उपयोग कर सरकारी योजनाओं से पैसा निकालने का काम किया। पुलिस ने इस ऑपरेशन में 52.69 लाख रुपए नकद, लग्जरी वाहन, लैपटॉप, सिम कार्ड, बायोमेट्रिक स्कैनर और अन्य डिजिटल उपकरण बरामद किए।

70 पुलिस टीमों ने की छापेमारी

ऑपरेशन की सफलता का मुख्य कारण पुलिस टीम की समन्वित और त्वरित कार्रवाई थी। 70 पुलिस टीमों ने लगातार 70 घंटे काम किया और पूरे अभियान को गोपनीय रखते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों के पास से बड़े पैमाने पर साक्ष्य भी बरामद किए।

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि धोखाधड़ी पीएम किसान सम्मान निधि, समाज कल्याण पेंशन योजनाएं, मुआवजा योजनाएं और आपदा राहत योजनाओं के तहत की जा रही थी।

पूरे प्रदेश में फैला नेटवर्क

पुलिस जांच से पता चला कि यह गिरोह झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां, चित्तौड़गढ़ से लेकर मध्यप्रदेश के कई जिलों तक फैला हुआ था। गिरोह के सदस्य फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर लोगों की पहचान का दुरुपयोग करते हुए सरकारी योजनाओं से लाखों रुपये निकालते थे। मुख्य सरगना जगदीश उर्फ़ जैक, राजकुमार लोधी और राकेश लोधी सहित कई अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर जांच जारी है।

उच्च तकनीकी जांच और 11000 फर्जी दस्तावेज बरामद

जांच में 11000 से अधिक फर्जी बैंक दस्तावेज, पासबुक, ATM कार्ड, पैन कार्ड और पहचान पत्र मिले हैं। कई कंप्यूटरों और लैपटॉप से डिजिटल ट्रांजेक्शन, सॉफ्टवेयर एंट्री और फर्जी रिकॉर्ड भी बरामद किए गए। पुलिस ने अब इस पूरे नेटवर्क की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया है, जिसमें तकनीकी और साइबर विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं।

साइबर और बैंकिंग कनेक्शन की जांच

जांच में सामने आया कि कई बैंक कर्मचारियों और साइबर कैफे ऑपरेटरों का भी इस गिरोह से संपर्क था। SBI, PNB, और अन्य बैंकों के कुछ खातों में बड़ी मात्रा में संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए गए हैं, जिनकी जांच के लिए FIU (Financial Intelligence Unit) और बैंक ऑडिट टीम को जानकारी भेजी गई है।

SIT का गठन

इस फर्जीवाड़े की गहराई से जांच के लिए पुलिस ने SIT का गठन किया है, जिसकी अगुवाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित कुमार और मनोज मीणा करेंगे। टीम में तकनीकी विशेषज्ञों, साइबर सेल अधिकारियों और बैंकिंग विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। टीम का उद्देश्य इस पूरे नेटवर्क को उजागर कर राज्यभर में चल रहे ऐसे अन्य फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाना है।

प्रमुख जब्त सामग्री

क्रमांक

जब्त सामग्री

संख्या / मूल्य

1

नकद रुपये

₹52.69 लाख

2

लैपटॉप / कंप्यूटर

35

3

मोबाइल फोन

70

4

बैंक पासबुक / ATM कार्ड

207 + 430

5

आधार / पहचान पत्र

560

6

लग्जरी वाहन

12

7

मोटरसाइकिल

18

8

प्रिंटर / स्कैनर / कार्ड रीडर

35+

9

नोट गिनने की मशीन

1

10

फर्जी सील, चेकबुक, स्टांप

सैकड़ों

पुलिस का बयान: एसपी अमित कुमार ने कहा —“यह कार्रवाई सरकारी योजनाओं में हो रहे बड़े फर्जीवाड़े के खिलाफ निर्णायक कदम है। इस ऑपरेशन से जुड़े अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।”

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