छठ महापर्व उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न: व्रतियों ने किया 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण

व्रतियों ने किया 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण
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भीलवाड़ा ( हलचल ) चार दिन पहले नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया. छठ व्रत के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत के किए. चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन तप और व्रत के माध्यम से हर साधक अपने घर-परिवार और विशेष रूप से अपनी संतान की मंगलकामना करता है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत देश के तमाम हिस्सों में मनाया जाने वाला छठ पर्व छठी मैया और प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर की विशेष पूजा के लिए पारण किया गया .


शुक्रवार सुबह एक बार फिर छठवृति वॉटर वर्क स्टेम ओर मानसरोवर झील के साथ धनौला में बड़े-बड़े जमा हुए और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान भी जमकर आतिशबाजी की गई। छठ माता का आज कठिन व्रत पूरा होने के बाद भारतीयों में खुशी देखी गई है वहीं आज दिन भर एक दूसरे को बधाई देने के साथ ही प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा।इस कठिन व्रत के जप-तप से जुड़े नियम और उससे होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.

छठ पूजा का धार्मिक महत्व

भगवान भास्कर की महिमा तमाम पुराणों में बताई गई है. भगवान सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना भगवान राम और श्रीकृष्ण के पुत्र सांब तक ने की थी. सनातन परंपरा से जुड़े धार्मिक ग्रंथों में उगते हुए सूर्य देव की पूजा को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र ही फलदायी बताया गया है, लेकिन छठ महापर्व पर की जाने वाली सूर्यदेव की पूजा एवं अर्घ्य का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है.

नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया. छठ व्रत के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत के पारण का विधान है. चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन तप और व्रत के माध्यम से हर साधक अपने घर-परिवार और विशेष रूप से अपनी संतान की मंगलकामना करता है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत देश के तमाम हिस्सों में मनाया जाने वाला छठ पर्व छठी मैया और प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर की विशेष पूजा के लिए किया जाता है. आइए इस कठिन व्रत के जप-तप से जुड़े नियम और उससे होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.

छठ पूजा का धार्मिक महत्व

भगवान भास्कर की महिमा तमाम पुराणों में बताई गई है. भगवान सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना भगवान राम और श्रीकृष्ण के पुत्र सांब तक ने की थी. सनातन परंपरा से जुड़े धार्मिक ग्रंथों में उगते हुए सूर्य देव की पूजा को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र ही फलदायी बताया गया है, लेकिन छठ महापर्व पर की जाने वाली सूर्यदेव की पूजा एवं अर्घ्य का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है.

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