किसान की बेटी चांदीपुरा वायरस से ग्रसित: मासूम के उपचार पर दो दिन में खर्च हुए पांच लाख, परिवार ने लगाई मदद की गुहार

मासूम के उपचार पर दो दिन में खर्च हुए पांच लाख, परिवार ने लगाई मदद की गुहार
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भीलवाड़ा (राजकुमार माली)। कोरोना से भी खतरानाक चांदीपुरा वायरस की चपेट में आई मासूम बालिका के इलाज पर अब तक परिजन करीब पांच लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। महंगे इलाज के बावजूद बालिका का हालत में सुधार नहीं हो पा रा है। वहीं परिजनों की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। बालिका के उपचार के लिए ब्याज पर रुपए का इंतजाम किया गया है। उन्हें अब तक किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं मिली है। जबकि पिता किसान है और उनकी आर्थिक हालत भी ठीक नहीं है।

भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के ईटडिय़ां ग्राम में खेती कर गुजारा करने वाले किसान परिवार की दो वर्षिय मासूम बालिका को चांदीपुरा वायरस ने घेर लिया। उसे परिजन पहले बिजयनगर ले गए, जहां एक निजी अस्पताल में कुछ घंटे इलाज पर 12 हजार रुपए खर्च कर दिए, लेकिन वहां हालत नहीं सुधरी तो परिजन मासूम को गंभीर हालत में भीलवाड़ा स्थित एक निजी अस्पताल में लेकर आए। जहां बच्चा वार्ड में उसका आठ घंटे तक इलाज चला और करीब 25 से 30 हजार रुपए खर्च होने के बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा। अस्पताल के चिकित्सकों ने बालिका की हालत को गंभीर बता अहमदाबाद रैफर कर दिया।

बालिका के बड़े पिता ने अहमदाबाद ने दूरभाष पर हलचल को बताया कि यहां के एक बड़े निजी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में बालिका को रखा गया है। जहां वह वेंटिलेटर पर है और पहले से ज्यादा गंभीर स्थिति में है। उन्हे चिकित्सकों ने बताया कि सुबह गुरुवार सुबह तक स्थिति साफ हो पाएगी। उन्होंने बताया कि भाई की आर्थिक स्थिति बिलकुल ठीक नहीं है, वह खेती पर आधारित है, लेकिन दो दिन में करीब 5 लाख रुपए उपचार पर खर्च हो चुके हैं। अस्पताल में अब तक ढाई लाख रुपए का बिल चुकाया जा चुका है, लेकिन शेष राशि का इंतजाम करने का प्रयास किया जा रहा है। उपचार इतना महंगा है कि उनकी आर्थिक स्थिति डगमगा गई है और उपचार के लिए उधार पर रुपए लिए गए है। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक इस गंभीर वायरस से पीडि़त बालिका और परिजनों की मदद के लिए ना तो सरकार आगे आई है और ना कोई अन्य संगठन या व्यक्ति।

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