बड़े नेताओं का दावा, कांग्रेस हो रही है मजबूत लेकिन भीलवाड़ा में ऐसे है पार्टी के हालात

- कई गुटों में बंटी है पार्टी
- विधानसभा चुनाव से पहले नहीं है दो ब्लॉक अध्यक्ष
भीलवाड़ा (राजकुमार माली) । कांग्रेस को मजबूत करने के बड़े नेता बड़े बड़े दावे कर रहे है लेकिन भीलवाड़ा में तो ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है। कई फाड़ में बंटी कांग्रेस के पास संगठन के नाम पर कोई मजबूत कार्यकारिणी है ही नहीं या यूं कहें कि अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कार्यकारिणी बनी ही नहीं। कांग्रेस के अधिकांश कार्यक्रमों में भी हर बार दो दर्जन से ज्यादा चेहरे नजर नहीं आते।
दो दिन पहले कांग्रेस के बड़े नेता ने दिल्ली में घोषणा की कि राजस्थान में ब्लॉक और बूथ स्तर पर कांग्रेस को काफी मजबूत कर दिया गया है। चालीस हजार से ज्यादा स्थानों पर बूथ लेवल पर नियुक्तियां की गई है। मण्डल अध्यक्ष भी बनाए गए है और संगठन को मजबूत किया जा रहा है। लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता रेणुगोपाल की इस घोषणा के विपरीत भीलवाड़ा में हालात ऐसे नजर नहीं आते है। यहां जब से जिलाध्यक्ष बदला गया तब से नई कार्यकारिणी नहीं बनी है।
सूत्रों की माने तो माण्डलगढ के ब्लॉक अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी को पार्टी से निकाले जाने के बाद से वहां कोई नया ब्लॉक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे ही हालात शाहपुरा के है जहां दिलीप गुर्जर के पार्टी से चले जाने के बाद वहां भी ब्लॉक अध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है। भीलवाड़ा में भी जो ब्लॉक अध्यक्ष है उन्हें निवर्तमान माना जाता है लेकिन काम वे ही कर रहे है।
प्रदेश कार्यकारिणी में सहवृत सदस्य भी पार्टी छोड़ रहे है। इनमें पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रामपाल शर्मा भी शामिल है। जो पूर्व में नगर विकास न्यास के अध्यक्ष भी रह चुके है। वे पार्टी से टाटा बाय-बाय कर गए और कमल से हाथ मिला लिया। जबकि पूर्व नगर परिषद चेयरमेन ललिता समदानी कुछ समय के लिए कांग्रेस में आई थी और उन्हें भी सहवृत सदस्य बनाया गया था लेकिन अब वह फिर हाथ को झटका देकर भाजपा में चली गई। इसी तरह शाहपुरा से अनिल व्यास भी सहवृत सदस्य थे लेकिन वह भी अब नहीं है।
चर्चा यह भी है कि कुछ विधानसभाओं में तो ब्लॉक कार्यकारिणी भी पूरी नहीं है। भीलवाड़ा में 14 ब्लॉक अध्यक्ष है लेकिन कितने सक्रिय है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। वैसे भी भीलवाड़ा कांग्रेस कई गुटों में बंटी है । ऐसे में पार्टी का धरातल नीचे की ओर खिसक रहा है और इसी का उदाहरण विधानसभा चुनावों में देखने को मिला है। एक भी सीट कांग्रेस के खाते में नहीं आ सकी।
कुछ चेहरे ही दिखते है कार्यक्रमों में
कांग्रेस पार्टी के होने वाले कार्यक्रमों में कुछ चेहरे ही नजर आते है जिनकी संख्या भी दो दर्जन से अधिक नहीं होती है। पिछले कांग्रेस की ओर से जारी किए गए प्रेस नोटों को देखा जाए तो उनमें एक जैसे ही नाम दिखाई देते है। किसी नेता की पुण्यतिथि और जयंती मनाई गई हो या फिर कोई ज्ञापन दिया गया हो। इनमें बड़े नेताओं के नाम तो यदा कदा ही देखने को मिलते है। जिले में सात पूर्व विधायक और प्रत्याशी है लेकिन वे वर्तमान में ऐसे कार्यक्रमों में कहीं नजर ही नहीं आते है।
इनका कहना है :-
कांग्रेस जिलाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि जिले में बूथ लेवल के बीएलए पूरी तरह से कम्पलीट है जबकि ब्लॉक अध्यक्ष बनाए जाने की प्रक्रिया जारी है उन्होंने कहा कि जिला कार्यकारिणी की वैसे तो आवश्यकता नही है। प्रदेश को भेजी हुई है, वह चाहेंगे तब घोषणा कर देंगे। उन्होंने यह कहा कि निष्क्रिय ब्लॉक अध्यक्षों को जल्दी ही हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सातों विधानसभाओं में प्रदेश प्रभारी लगाए गए है जो कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में काम रहे है।