ऑल इंडिया परमिट का दुरुपयोग :: इंदौर में बड़ी कार्रवाई, भीलवाड़ा की दर्जनों बसें भी नियमों की धज्जियां उड़ा रही

ऑल इंडिया परमिट का दुरुपयोग : इंदौर में सख्ती, भीलवाड़ा की बसें भी घेरे में
✦ इंदौर में बड़ी कार्रवाई : अंसारी और गजराज ट्रेवल्स की बसें जब्त
✦ यात्री बनकर चढ़ी परिवहन विभाग की टीम, मौके पर खुली पोल
✦ नियम : परमिटधारी बसें केवल तय शहरों के बीच ही ले जा सकती हैं सवारी
✦ भीलवाड़ा से चलने वाली दर्जनों बसें भी कर रही नियमों की अनदेखी
✦ यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़, ओवरलोडिंग और माल ढुलाई का गोरखधंधा
भीलवाड़ा/इंदौर।
ऑल इंडिया परमिट के नाम पर लोकल सवारी ढ़ोने वाली बसों पर गुरुवार को परिवहन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की। इंदौर में विभाग की टीम ने यात्री बनकर टिकट बुक करवाए और मौके पर ही दो बसों को पकड़कर जब्त कर लिया। इन बसों में अंसारी ट्रेवल्स और गजराज ट्रेवल्स की गाड़ियां शामिल हैं, जिन्हें विजय नगर थाने के पास खड़ा कराया गया है। कार्रवाई के बाद से ट्रेवल्स कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
कैसे हुई कार्रवाई?
परिवहन आयुक्त ने गुरुवार को बैठक के दौरान साफ निर्देश दिए कि ऑल इंडिया परमिट का गलत इस्तेमाल करने वाली बसों पर सख्त कदम उठाए जाएं। आदेश के बाद इंदौर आरटीओ प्रदीप शर्मा ने टीम गठित की और उन्हें बसों में बुकिंग कराकर जांच करने भेजा गया।
अंसारी ट्रेवल्स की बस, जो इंदौर से कोटा के लिए परमिटधारी थी, में टीम ने इंदौर से उज्जैन और उज्जैन से कोटा तक टिकट बुक कराए। जांच में बस में इंदौर–उज्जैन के यात्री बैठे पाए गए, जो नियमों का सीधा उल्लंघन था।
गजराज ट्रेवल्स की बस, जिसे इंदौर से जोधपुर के लिए परमिट मिला था, उसमें टीम ने इंदौर से उदयपुर का टिकट बुक किया। यह भी नियमों के विपरीत था।
दोनों बसों को मौके पर ही जब्त कर लिया गया। ड्राइवरों ने स्वीकार भी किया कि वे अक्सर बीच-बीच में सवारी बैठाते हैं।
नियम क्या कहते हैं?
केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट बसें केवल उन्हीं शहरों के बीच सवारियां ढो सकती हैं, जिनके लिए परमिट जारी किया गया हो। बीच के शहर से यात्री बैठाना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी बस को इंदौर से भीलवाड़ा का परमिट मिला है, तो वह केवल इंदौर और भीलवाड़ा के बीच ही सवारी बैठा सकती है। उज्जैन, नीमच, चित्तौड़गढ़ जैसे बीच के शहरों से यात्री उठाना कानूनन अपराध है।
ऐसे ही हाल अहमदाबाद और दिल्ली मार्ग का भी है।
भीलवाड़ा का हाल
यह मामला केवल इंदौर तक सीमित नहीं है। भीलवाड़ा से चलने वाली लंबी दूरी की बसें भी लगातार नियमों की अनदेखी कर रही हैं।
इन बसों के पास ऑल इंडिया परमिट तो लंबी दूरी की यात्रा का होता है, लेकिन हकीकत यह है कि वे बीच-बीच के बड़े शहरों जैसे चित्तौड़गढ़, अजमेर, उदयपुर, कोटा में भी यात्रियों को बैठाती हैं।
यात्रियों की सुरक्षा की परवाह किए बिना बसों में ऊपर-नीचे माल भरकर ले जाया जाता है, जिससे न केवल ओवरलोडिंग होती है बल्कि हादसों का खतरा भी बढ़ता है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि भीलवाड़ा का परिवहन विभाग इस हकीकत से पूरी तरह अनजान नहीं है। कई बार विभाग के अधिकारी खुद इन बसों में सफर करते हैं और वास्तविक स्थिति से वाकिफ रहते हैं, लेकिन कार्रवाई करने में ढिलाई बरती जाती है।
यात्रियों की परेशानी
इंदौर और भीलवाड़ा के बीच सफर करने वाले यात्री कहते हैं कि निजी बस संचालक अपने फायदे के लिए यात्रियों की जान को जोखिम में डालते हैं।
सुविधा के नाम पर टिकट के दाम बढ़ा दिए जाते हैं।
बीच के शहरों में रुक-रुककर सवारी बैठाने से यात्रा का समय बढ़ जाता है।
ओवरलोड होने के कारण अक्सर यात्रियों को असुविधा होती है।
बड़ा सवाल
परिवहन विभाग की गुरुवार को हुई कार्रवाई ने जरूर एक सख्त संदेश दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जांच एक निरंतर प्रक्रिया बनेगी या फिर सिर्फ एक दिन की औपचारिकता साबित होगी?
भीलवाड़ा और आसपास के जिलों से चलने वाली दर्जनों बसें लगातार नियम तोड़ रही हैं। यदि इन पर कड़ी निगरानी रखी जाए तो यात्रियों की सुरक्षा और परिवहन व्यवस्था में सुधार संभव है।
