*स्वाद के नाम पर सेहत से खिलवाड़: होटलों ,ठेलों पर परोसा जा रहा जहर, बार-बार गर्म तेल से बढ़ रहा कैंसर और हार्ट अटैक का खतरा

भीलवाड़ा हलचल । शहर की सड़कों पर मिलने वाला आपका पसंदीदा समोसा, कचौरी या छोले-भटूरे अब सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि कैंसर और हार्ट अटैक जैसी जानलेवा बीमारियों को भी दावत दे रहा है। छोटे रेस्तरां, ढाबे और ठेलों पर जिस तेल में यह तला-भुना खाना बन रहा है, वह कई बार इस्तेमाल किया जा चुका होता है। यही जला और बार-बार गर्म किया गया तेल आपके शरीर के लिए ज़हर बनता जा रहा है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस भयावह स्वास्थ्य खतरे पर गंभीर संज्ञान लिया है। आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को नोटिस जारी करते हुए इसे “सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा मानवाधिकार उल्लंघन” करार दिया है। आयोग ने दो सप्ताह के भीतर राज्यवार जांच रिपोर्ट और कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया है।
भोपाल की सामाजिक संस्था ‘सार्थक सामुदायिक विकास एवं जनकल्याण संस्था’ के संस्थापक द्वारा दी गई शिकायत में कहा गया कि देशभर में छोटे होटल, ढाबे और सड़क किनारे के ठेले पुराने तेल को बार-बार गर्म कर भोजन तैयार करते हैं या उसे दोबारा बेच देते हैं। इस प्रक्रिया से तेल में ट्रांस फैट्स और टॉक्सिक कम्पाउंड्स की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जो शरीर में पहुंचकर कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और लीवर फेलियर जैसी घातक बीमारियों का कारण बनते हैं।
एनएचआरसी के सदस्य प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि नागरिकों को सुरक्षित और शुद्ध भोजन उपलब्ध कराना सरकार की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है। आयोग ने यह भी कहा कि उपयोग किया हुआ तेल यदि सही तरीके से नष्ट नहीं किया जाता, तो वह पानी और मिट्टी को भी प्रदूषित करता है, जिससे पर्यावरण पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।
आयोग ने एफएसएसएआई और स्वास्थ्य मंत्रालय से यह स्पष्ट करने को कहा है कि “रीपर्पज यूज्ड कुकिंग ऑयल (RUCO)” अभियान और बायोडीजल नीति के बावजूद जमीन पर इसका प्रभावी क्रियान्वयन क्यों नहीं हो पा रहा है।
साथ ही आयोग ने निर्देश दिया है कि—
राज्यों में नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए,
हर जिले में तेल शोधन और निस्तारण केंद्र स्थापित किए जाएं,
और जनता को इस विषय में जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं।
फिलहाल, आमजन के लिए सबसे बड़ी सीख यही है— सड़क किनारे स्वाद के चक्कर में सेहत को दांव पर न लगाएं। क्योंकि बार बार इस्तेमाल किया गया तेल सिर्फ स्वाद नहीं बढ़ाता, बीमारी की जड़ भी बनता है।
