भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन की सुरक्षा पर सवाल: प्लेटफार्म नंबर चार पर सात सौ मीटर की दूरी में सात गेट, सीसीटीवी कैमरे भी नहीं,अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा स्टेशन परिसर
भीलवाड़ा बीएचएन। देश-विदेश में वस्त्रनगरी के नाम से पहचाने जाने वाला भीलवाड़ा के रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सुरक्षा के मोर्चे पर बुरी तरह विफल साबित हो रहा है। स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर चार अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया है। यहां न तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और न ही पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध हैं। सात सौ मीटर की दूरी में सात गेट खुले होने के कारण अपराधी वारदात के बाद आसानी से फरार हो जाते हैं।
केवल एक ट्रेन, बाकी समय अपराधियों का कब्जा
इस प्लेटफार्म पर 24 घंटे में केवल एक ट्रेन रुकती है — रतलाम डेमू ट्रेन, जो रात करीब सवा बारह बजे पहुंचती है और तडक़े साढ़े तीन बजे तक यहीं खड़ी रहती है। इस दौरान थोड़े समय के लिए यात्रियों की आवाजाही होती है, लेकिन बाकी समय प्लेटफार्म सुनसान रहता है। इसी खालीपन का फायदा उठाकर असामाजिक तत्व यहां डेरा जमा लेते हैं।
शराब, स्मैक और रंगरेलियों का अड्डा
सूत्रों के अनुसार, रात होते ही प्लेटफार्म नंबर चार अपराधियों की गतिविधियों से गुलजार हो जाता है। सीसीटीवी कैमरों के अभाव में ये लोग बेखौफ होकर शराब और स्मैक का सेवन करते हैं, और कई बार रंगरेलियां मनाने तक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
नशे में वारदातें, यात्री बनते शिकार
नशे में धुत अपराधी, रात में सोए हुए यात्रियों के मोबाइल, बैग और कीमती सामान चोरी कर ले जाते हैं। केवल अक्टूबर माह में ही इस प्लेटफार्म पर आठ अलग-अलग चोरी की घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। जीआरपी के अनुसार, इन सभी मामलों की जांच जारी है।
सात गेट बने सुरक्षा के लिए खतरा
गंगापुर तिराहे की ओर इस प्लेटफार्म पर सात सौ मीटर की दूरी में सात गेट बने हैं, जिनमें कुछ स्थायी और कुछ अस्थायी हैं। इन गेटों से अपराधी वारदात के बाद चंद सेकंड में प्लेटफार्म से बाहर निकल जाते हैं। सीसीटीवी कैमरे नहीं होने के कारण पुलिस के पास कोई विजुअल सबूत भी नहीं बचता।
गश्त के बाद फिर लौट आते हैं अपराधी
जीआरपी सूत्रों ने बताया कि पुलिसकर्मी जब गश्त करते हैं तो संदिग्धों को वहां से खदेड़ देते हैं, लेकिन स्टाफ हटते ही ये लोग दोबारा प्लेटफार्म पर लौट आते हैं और कब्जा जमा लेते हैं।
असुरक्षित है तत्काल टिकट काउंटर
प्लेटफार्म नंबर चार पर नया तत्काल टिकट काउंटर भवन बनाया गया है। दिन में यहां कामकाज चलता है, लेकिन रात में यह क्षेत्र पूरी तरह सुनसान हो जाता है। इस वजह से भवन के आसपास भी आपराधिक तत्वों की आवाजाही बनी रहती है।ऐसे में यह भवन भी पूरी तरह असुरक्षित है।
चार से 29 अक्टूबर तक आठ वारदातें
महज 25 दिनों में प्लेटफार्म नंबर चार पर चोरी और लूटपाट की आठ घटनाएं दर्ज हुई हैं। इनमें यात्रियों के मोबाइल, पर्स और बैग चोरी किए गए। बार-बार हो रही घटनाओं से जीआरपी और आरपीएफ दोनों परेशान हैं। ये वारदातें चार, 14, 16 17, 19, 22, 28 व 29 अक्टूबर को हुई।
जीआरपी चौकी प्रभारी बोले — कैमरे नहीं, गेट बने परेशानी की जड़
इस मामले में जीआरपी चौकी प्रभारी खलील अहमद ने कहा कि प्लेटफार्म नंबर चार पर सबसे ज्यादा वारदातें होती हैं क्योंकि यहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है। रेलवे ने सात सौ मीटर के दायरे में सात गेट बना रखे हैं, जो सीधे हाइवे से जुड़े हैं। ऐसे में अपराधी वारदात के बाद तुरंत निकल भागते हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार रेलवे अधिकारियों को कैमरे लगाने और गेट सीमित करने की मांग की जा चुकी है, लेकिन कार्रवाई अब तक नहीं हुई।
सुरक्षा इंतजामों की सख्त जरूरत
भीलवाड़ा का रेलवे स्टेशन जहां हर दिन हजारों यात्री सफर करते हैं, वहीं इस तरह की लापरवाही यात्रियों की जान-माल दोनों के लिए खतरा बन चुकी है। सुरक्षा कैमरे, सीमित प्रवेश द्वार और नियमित गश्त ही स्टेशन को अपराधियों के चंगुल से मुक्त करा सकते हैं।
