भीलवाड़ा की सड़कें बनीं गड्ढों का जाल: शहरवासी बेहाल,फ़ाइलों के खड्डे भरने में व्यस्त हे जिम्मेदार!

शहरवासी बेहाल,फ़ाइलों के खड्डे भरने में व्यस्त हे जिम्मेदार!
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भीलवाड़ा ।विजय गढ़वाल, जिला मुख्यालय की सड़कें इस कदर खस्ताहाल हो चुकी हैं कि आमजन के लिए सफर करना मुसीबत बन गया है। कई कॉलोनियों में सड़कें कम, गड्ढे ज्यादा नजर आते हैं। पैदल चलने वाले हों या वाहन चालक — सभी परेशान हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर निगम, नगर विकास न्यास (UIT) और जनप्रतिनिधियों को जनता की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है। सड़कों पर जगह-जगह बड़े गड्ढे हैं, जिनकी वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। बावजूद इसके न तो प्रशासन हरकत में है और न ही जनप्रतिनिधि।

बारिश ने बिगाड़ी सड़कों की हालत

इस बार हुई भारी बारिश के बाद शहर की अधिकांश सड़कों का अस्तित्व मिट सा गया है। कुछ इलाकों में पेंचवर्क करवाया गया, मगर ज्यादातर जगहों पर सड़कें गड्ढों में तब्दील हैं।

शहरवासी लक्ष्मी नारायण पनवा बताते हैं, “200 फीट रोड हो या पांसल की तरफ जाने वाली सड़क, सभी जगह हालात बदतर हैं। सीवरेज खुदाई के बाद भराई अधूरी है, ढक्कन ऊंचे-नीचे लगे हैं, जिससे हर वक्त दुर्घटना का खतरा बना रहता है।”

सर्किट हाउस से रेलवे फाटक तक का रास्ता तो गांव की पगडंडियों जैसा हो चुका है। वहीं गांधी नगर मोक्षधाम मार्ग पर यातायात का भारी दबाव है, लेकिन सड़क उधेड़ी पड़ी है। दिनभर धूल उड़ती रहती है और वाहन हिचकोले खाते गुजरते हैं।

विनोद वर्मा कहते हैं, “गायत्री नगर की पुलिया टूटी पड़ी है और दादीधाम से हरणी महादेव जाने वाला मार्ग पूरी तरह जर्जर हो चुका है।”

नगर निगम क्षेत्र में हालात और बदतर

हरिसेवा के पीछे की सड़क पर तो हर मौसम में नालियों का पानी फैला रहता है। टूटे खड्डों में भरे पानी पर से गुजरते बड़े वाहनों की छींटें पैदल राहगीरों पर गिरती हैं। पर सुनने वाला कोई नहीं।

शहर में चमचमाती सड़कें तो बन रही हैं — लेकिन वहां, जहां से कोई गुजरता ही नहीं! बस स्टैंड से लेकर अस्पताल और CMHO कार्यालय तक जाने वाले मुख्य मार्ग पर भी गहरे गड्ढे बने हैं।

आजाद नगर निवासी पवन बताते हैं, “सीवरेज कार्य के बाद बनी सड़क बारिश में बह गई। अब जगह-जगह बड़े गड्ढे हैं, जिनसे दोपहिया वाहन चालक आए दिन गिरते हैं।”

विकास कार्यों पर जमी धूल

भीलवाड़ा नगर निगम में विकास कार्य महीनों से ठप पड़े हैं। ओवर ब्रिज को वक्त ओवर हो चुका हे पंचवटी की ओर जाने वाले ब्रिज को चूहे कुतर हे। पेटलनगर हो या बापूनगर या फिर पंचवटी के हाल किसी से छिपे नहीं हे। UIT की प्राथमिकता भी कहीं और दिखाई देती है। अधिकारी “फाइलों के खड्डे” भरने में जुटे हैं, जबकि शहर असली खड्डों में डूबा है।

लग्जरी गाड़ियां तो शायद इन सड़कों से निकल जाती हैं, मगर आमजन के लिए यह रास्ते अब हादसे की दावत बन गए हैं।

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