भीलवाड़ा शहर में विकास के नाम पर उधड़ी सड़कें और टूटा जनविश्वास: क्लीन और ग्रीन के दावों के बीच शहर की हालत बदतर


भीलवाड़ा हलचल। शहर को क्लीन और ग्रीन बनाने के दावों के बीच नगर प्रशासन ने पूरे शहर को उधेड़ कर रख दिया, लेकिन न विकास दिखा और न ही व्यवस्था सुधरी। सड़कें खोली गईं, मकान तोड़े गए, लोगों की रोजी रोटी तक प्रभावित हुई, लेकिन शहर में सुधार के नाम पर आज भी बस उधड़ी सड़कें, बिखरा मलबा और हवा में उड़ती धूल ही दिखाई देती है।

अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अधूरी ही रही

साल की शुरुआत में नगर निगम ने सड़कें चौड़ी करने और शहर को व्यवस्थित बनाने के लिए अतिक्रमण हटाने का ऐलान किया था, लेकिन अभियान ढंग से शुरू ही नहीं हो पाया। गली मोहल्लों और बाजारों में आज भी जगह जगह अतिक्रमण दिखते हैं। नालों और नालियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है, जिससे शहर की बची खुची सुंदरता भी बिगड़ गई है।

शहर को सुंदर बनाने के दावे अधूरे

निगम ने करोड़ों रुपए खर्च कर शहर का कायाकल्प बदलने की बात कही थी। नई सड़कें, बेहतर जलनिकासी, नई चौपाटी, फ्लोवरिंग प्लांट्स और फ्लेक्स बोर्ड जैसी कई योजनाओं की घोषणा हुई थी, लेकिन साल खत्म होने को है और इन योजनाओं का असर कहीं नजर नहीं आता। दावे हवा हवाई साबित हुए हैं और निगम विकास कार्यों से दूर दिखाई दे रहा है।

जलनिकासी की स्थिति जस की तस

परिषद ने चौड़ी सड़कें और बेहतर जलनिकासी के नाम पर कई जगह तोड़फोड़ की, कई मकान और ढांचे तक गिराए गए, लेकिन हालात नहीं बदले। करीब एक दर्जन कॉलोनियों में आज भी जलभराव होता है और लोग परेशान हैं।

आखिर कब बदलेगी शहर की सूरत

नगर परिषद इस समय अधिकारियों की कमी से जूझ रही है। नगर आयुक्त के पद से अशोक शर्मा के हटने के बाद ईओ के पद पर लगातार बदलाव होते रहे। अब नए नगर आयुक्त की नियुक्ति के बाद लोगों को उम्मीद है कि शायद काम शुरू हों, लेकिन उधड़ी सड़कों से उठती धूल और गंदगी से जूझ रहे लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब उन्हें राहत मिलेगी।

अतिक्रमण फिर लौट आया

एक समय परिषद ने संतर रोड, लाल बाजार, मंडी चौराहा, चूड़ी मार्केट, डाकखाना चौराहा, सराय, जगन चौराहा और गुलाब बाग से जगदीश चौराहा तक अतिक्रमण हटाया था, लेकिन अब वही अतिक्रमण फिर सज धज कर वापस लौट आया है। कार्रवाई का न तो कोई स्थायी असर हुआ और न ही शहर को सुंदर बनाने की दिशा में कोई ठोस काम हुआ।

भीलवाड़ा की जनता आज भी सवाल पूछ रही है कि विकास के नाम पर हुई इस तोड़फोड़ का फायदा आखिर किसे मिला, क्योंकि शहर आज भी वहीं खड़ा है जहां साल की शुरुआत में था—उधड़ा हुआ, धूल से भरा और अव्यवस्थित।

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