भीलवाड़ा में मौत को दावत देते वाहन! बिना रिफ्लेक्टर व बैकलाइट सड़क पर दौड़ रहा ‘चलता खतरा’

भीलवाड़ा में मौत को दावत देते वाहन! बिना रिफ्लेक्टर व बैकलाइट सड़क पर दौड़ रहा ‘चलता खतरा’
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भीलवाड़ा हलचल।

परिवहन और ट्रैफिक विभाग की सुस्ती ने जिले की सड़कों को जोखिम के हवाले कर दिया है। भीलवाड़ा शहर और आसपास के मार्गों पर बिना रिफ्लेक्टर, बिना बैकलाइट, बिना हेडलाइट वाले भारी वाहन खुलेआम दौड़ रहे हैं। ये वाहन न केवल नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि दोपहिया चालकों और पैदल यात्रियों के लिए चलते-फिरते खतरे बन चुके हैं।

शहर के मुख्य मार्गों का हाल—‘अंधेरे में दौड़ती मौत’

शहर में कोटा रोड, पांसल रोड, हलेड रोड, मंगरोप मार्ग, पुर रोड—हर तरफ एक जैसा दृश्य।

सड़क पर तेज रफ्तार में दौड़ते डंपर, ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और मालवाहक वाहन जिनमें:

रिफ्लेक्टर नहीं

पीछे की बैकलाइट खराब

कुछ में तो हेडलाइट तक गायब

और कई वाहनों की नंबर प्लेट धूल-मिट्टी से ढंकी या पढ़ने लायक तक नहीं

रात और सुबह के धुंधलके में ऐसे वाहन सड़क पर किसी दुर्घटना का इंतजार करते हुए राक्षस जैसे नजर आते हैं।

कालोनियों में भी खतरा—बिल्डिंग मटेरियल ढोते ‘लाइटविहीन’ ट्रैक्टर

गांव-शहर की कई कालोनियों में बिल्डिंग मटेरियल ले जाते ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की हालत और भी भयावह है।

न रिफ्लेक्टर, न बैकलाइट, न हेडलाइट।

अंधेरे में ये वाहन अचानक सामने आकर हर आने-जाने वाले को जोखिम में डालते हैं।

हादसों की वजह: पीछे से आने वाले वाहनों को दिखते ही नहीं

रिफ्लेक्टर या बैकलाइट न होने से पीछे से आने वाले वाहन चालकों को इनकी दूरी का अनुमान नहीं लगता।

और नतीजा—

दोपहिया सवार सबसे ज्यादा शिकार

पैदल यात्री जिंदगी दांव पर

कई सड़क दुर्घटनाओं की जड़ यही लापरवाही

प्रशासन की खामोशी क्यों?

नियम साफ कहते हैं कि हर भारी वाहन पर रिफ्लेक्टर अनिवार्य है, हेडलाइट और बैकलाइट पूरी तरह कार्यरत होनी चाहिए।

लेकिन शहर में हालात उल्टे हैं — वाहन नियम तोड़ रहे हैं और विभाग आंखें मूंदे बैठा है।


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