गलघोंटू से 7 बच्चों की मौत, चिकित्सा विभाग ने जारी किया अलर्ट

डीग. जिले में डिप्थीरिया (गलघोंटू) जानलेवा साबित हो रहा है। जिले के नगर, कामां, पहाड़ी में तीन से सात साल के 7 डिप्थीरिया संक्रमित बच्चों की मौत के बाद जिलेभर में हाई अलर्ट घोषित किया है। जिले के जिन गांवों में जहां डिप्थीरिया से बच्चों की मौत हुई वहां डब्ल्यूएचओ और हेल्थ डिपार्टमेंट जयपुर की टीम ने पहुंचकर बच्चों में टीकाकरण शुरू करवाने के साथ संदिग्ध बच्चों के सैंपल लेने में जुट गई है।

डिप्थीरिया से जिले में 14 सितंबर से 12 अक्टूबर के बीच कामां निवासी सुमित (7) पुत्र बनवारी लाल, कामां निवासी अकरीन (5) पुत्र आशु, नगर निवासी सुमित (6) पुत्र बाबू, नगर निवासी मोनीष (3) पुत्र शरीफ, पहाड़ी निवासी आशिफा (6) पुत्री आस मोहम्मद, नगर निवासी शीजान (5) पुत्र वारिश खान समेत नगर निवासी अल्फेज (3) पुत्र स्वालिन की डिप्थीरिया से मौत हो चुकी है। शेजान की जयपुर के एसएमएस अस्पताल में उपचार के दौरान मौत की खबर है। वहीं इसका बड़ा भाई फैजान डिप्थीरिया बीमारी से ग्रसित बताया गया है। उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। जिले में अब तक जांच में 24 बच्चों में पॉजिटिव पाए गए हैं। जिनका उपचार जारी है। बताया गया है कि कुछ ठीक भी हो चुके हैं।

टीका नहीं लगवाने के कारण फैला डिप्थीरिया

एडिशनल सीएमएचओ डॉ. मानसिंह ने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए हर महीने गांव-गांव में घर-घर जाकर के टीकाकरण किया जाता है, लेकिन कुछ लोग अपने बच्चों को टीका नहीं लगवाते हैं। ये एक ऐसी बीमारी है, जो कॉमन तब बन जाती है, जब इसका टीका सरकार में नि:शुल्क होने के बावजूद भी लोग लगवाने नहीं पहुंचते। ये बीमारी कॉरीनेबेक्टेरियम बैक्टिरिया के संक्रमण से होती है। इसमें बैक्टिरिया सबसे पहले गले को नुकसान पहुंचाता है। समुचित इलाज के अभाव में जान तक चली जाती है।

यह होता है डिप्टीथीरिया

डिप्टीथीरिया बीमारी को आम बोलचाल की भाषा में गलघोंटू बीमारी कहा जाता है। इस बीमारी के टारगेट पर आमतौर पर 10 साल तक के बच्चे होते हैं। यह बीमारी कोराइन बैक्टीरियम डिप्टीथीरिया नामक जीवाणु से होती है। जीवाणु से शरीर में जहर फैलने की संभावना रहती है इसमें मौत तक हो सकती है। डिप्टीथीरिया बीमारी के सबसे प्रमुख लक्षण शुरुआत में सर्दी, खांसी और बुखार के रूप में नजर आते हैं। इस बीमारी में यदि बच्चों को सही समय पर उपचार नहीं मिलता है तो सांस की नली के पास सफेद झिल्ली बनने लगती है। यह झिल्ली बढ़ते हुए श्वास नली को दबा देती है इससे बच्चे को श्वास लेने में तकलीफ होने लगती है और उसका दम घुटने लगता है और इसमें कई बार जान भी जा सकती है।

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