भीलवाड़ा: बीजेपी नेता के बेटे के घर DGGI का छापा, 8.30 करोड़ की टैक्स वसूली; क्या रसूखदार बच जाएंगे?

भीलवाड़ा हलचल , – गुरुवार को जब भीलवाड़ा में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) की टीम ने बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण डाड के बेटे निखिल डाड के ठिकानों पर छापा मारा, तो पूरे शहर में हलचल मच गई। यह सिर्फ एक टैक्स चोरी का मामला नहीं था, बल्कि इसने उन सफेदपोश चेहरों की काली करतूतों को उजागर किया है, जो राजनीतिक रसूख और व्यापार की आड़ में देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे हैं। इस कार्रवाई ने भीलवाड़ा के स्थानीय लोगों से लेकर देश-विदेश में बसे उन सभी लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, जो अपने शहर की ईमानदारी और व्यापारिक साख पर गर्व करते हैं।
करोड़ों की टैक्स चोरी और वसूली: क्या यही न्याय है?
DGGI की जाँच के बाद जो आँकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। टीम ने कुल 8.30 करोड़ रुपये की टैक्स पेनल्टी की वसूली की है। अकेले निखिल डाड से 5 करोड़ रुपये वसूले गए हैं, जबकि उनके बिजनेस पार्टनर अनुज सोमानी से 1.13 करोड़ रुपये और फर्जी बिलिंग में शामिल प्रोसेस हाउस से ढाई करोड़ रुपये की वसूली हुई है।
यह कार्रवाई भीलवाड़ा के उन ईमानदार व्यापारियों और आम नागरिकों के मन में एक तीखा सवाल छोड़ जाती है: "क्या यह न्याय है?" लोग सोशल मीडिया और गलियारों में फुसफुसा रहे हैं कि क्या यह सिर्फ एक वसूली अभियान था? क्या करोड़ों रुपये कमाकर, पकड़े जाने पर कुछ लाख या करोड़ रुपये जमा करा देने से ही सब कुछ ठीक हो जाता है? यह घटना इस बात की तरफ इशारा करती है कि ऐसे रसूखदार लोग कानून की पकड़ से बच निकलने में कामयाब हो जाते हैं, जबकि आम आदमी पर मामूली गलती के लिए भी कड़ी कार्रवाई होती है।
ई-वे बिल से हुआ खुलासा: फर्जीवाड़ा का नया तरीका
जाँच में सामने आया है कि इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा ई-वे बिलों की जाँच से हुआ। निखिल डाड का टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज में केमिकल और कोयले की सप्लाई का बड़ा कारोबार है। DGGI को करीब 13 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का इनपुट मिला था। बताया जाता है कि शैल कंपनियों के माध्यम से फर्जी बिलों की ट्रेडिंग की जा रही थी। यानी, वास्तव में कोई केमिकल नहीं खरीदा जा रहा था, लेकिन बिल बनाकर दिखाया जा रहा था, ताकि बाद में फिनिश प्रोडक्ट पर लगने वाली जीएसटी को एडजस्ट किया जा सके। इस तरह, सरकार को दोहरा नुकसान हो रहा था—एक तो फर्जी बिलों से, और दूसरा, सही टैक्स का भुगतान न करने से।
लोगों में गुस्सा और निराशा
भीलवाड़ा से निकलकर देश के बड़े शहरों और विदेशों में बसे भीलवाड़ा के लोग आज इस खबर से निराश हैं। वे हमेशा अपने शहर को एक ईमानदार और मेहनती व्यापारियों के शहर के रूप में जानते हैं। यह घटना उस पहचान पर एक गहरा दाग है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर राजनीतिक संरक्षण में यह गोरखधंधा कब तक चलता रहेगा? यह सिर्फ टैक्स चोरी का मामला नहीं है, बल्कि देश के प्रति विश्वासघात है।
यह मामला भीलवाड़ा के लिए एक वेक-अप कॉल है। क्या हमारे समाज में कुछ लोगों के लिए कानून और नैतिकता के अलग-अलग नियम हैं? क्या राजनीति और व्यापार के इस गठजोड़ को हमेशा खुली छूट मिलेगी? इस घटना ने न सिर्फ एक व्यक्ति को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि पूरे सिस्टम पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखना यह है कि क्या इस मामले की जाँच यहीं समाप्त हो जाती है या फिर इसके पीछे छिपे बड़े मगरमच्छों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
