19 दिन की खामोशी टूटी, भीलवाड़ा की सड़कों पर फिर दौड़े पत्थर-गिट्टी के ट्रैक्टर, खानों में गूंजी धमाकों की आवाज

19 दिन की खामोशी टूटी, भीलवाड़ा की सड़कों पर फिर दौड़े पत्थर-गिट्टी के ट्रैक्टर, खानों में गूंजी धमाकों की आवाज
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भीलवाड़ा हलचल। पिछले 19 दिनों से छाई वीरानी और खामोशी का दौर आखिरकार बुधवार को खत्म हो गया। राजस्थान स्टोन क्रशर एसोसिएशन एवं चुनाई पत्थर एसोसिएशन की सफल वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त करने की घोषणा के साथ ही भीलवाड़ा जिले की खानों में एक बार फिर छेनी-हथौड़ों की खटपट और बारूदी धमाकों की गूंज सुनाई देने लगी है। शहर की सड़कों पर पत्थर और गिट्टी से लदे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है, जिससे निर्माण क्षेत्र में ठप पड़ा पहिया एक बार फिर घूम पड़ा है।

सरकार के साथ हुई बातचीत में ड्रोन सर्वे सहित अन्य प्रमुख मांगों पर शिथिलता देने के आश्वासन के बाद दोनों प्रमुख संगठनों ने हड़ताल खत्म करने का फैसला किया। इस फैसले से जिले के खनन और निर्माण उद्योग से जुड़े लाखों लोगों ने राहत की सांस ली है। बुधवार सुबह से ही खदानों और क्रशरों में कामकाज पुनः शुरू हो गया है, और चारों ओर काम-काज की वही पुरानी हलचल लौट आई है।

करोड़ों का नुकसान, 50 हजार से ज्यादा हुए थे बेरोजगार

यह 19-दिवसीय हड़ताल भीलवाड़ा के आर्थिक ताने-बाने के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई। एक अनुमान के मुताबिक, सिर्फ भीलवाड़ा जिले में ही इस हड़ताल से करोड़ों रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ। सबसे बड़ी मार दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी। जिले के समोड़ी, कोटड़ी, दरीबा, कुवाड़ा से लेकर बिजौलियां, करेड़ा, आसीन्द, जहाजपुर, और रायपुर-सहाड़ा जैसे खनन क्षेत्रों में काम करने वाले करीब 50 हजार से अधिक मजदूर और श्रमिक बेरोजगार हो गए थे, जिससे उनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। शहर से लेकर गांवों तक हजारों निर्माण कार्य पूरी तरह से थम गए थे, जिससे ठेकेदारों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था।

सड़कों पर लौटी रौनक, निर्माण कार्यों में आएगी तेजी

हड़ताल खत्म होते ही आज सुबह से शहर की तस्वीर बदल गई। खदानों से निकले पत्थर और गिट्टी से भरे वाहन अपनी-अपनी मंजिलों की ओर दौड़ते नजर आए। यह हड़ताल एक संयुक्त आंदोलन था, जिसमें स्टोन क्रशर एवं चेजा पत्थर संगठन के साथ-साथ ग्रेनाइट, मार्बल एसोसिएशन, बजरी ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी संवेदक भी शामिल थे। अब जब आपूर्ति श्रृंखला फिर से बहाल हो गई है, तो उम्मीद है कि रुके हुए सभी निजी और सरकारी निर्माण कार्यों में तेजी आएगी। काम पर लौटे मजदूरों और बेरोजगार हुए श्रमिकों के चेहरों पर फिर से रौनक लौटती दिखी, जो इस हड़ताल के सफल समाधान का सबसे सकारात्मक पहलू है। कुल मिलाकर, 19 दिनों के लंबे इंतजार के बाद, भीलवाड़ा में विकास और निर्माण की गाड़ी एक बार फिर पटरी पर लौट आई है।

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