राजस्थान के सांसदों का रिपोर्ट कार्ड: जागरूक और गंभीर सांसदों में सांसद दामोदर अग्रवाल,मदन राठौड़ ने पूछे सबसे ज्यादा सवाल
भीलवाड़ाहलचल । संसद के शीतकालीन सत्र की तैयारियों के बीच जारी हुए मानसून सत्र के रिपोर्ट कार्ड ने राजस्थान के सांसदों की सक्रियता का पूरा हाल बयां कर दिया है। प्रदेश के लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर कुल 35 सांसदों में से कई जहां पूरे सत्र में बेहद सक्रिय रहे, वहीं कुछ सांसद लगभग मौन ही रहे।इस दौरान भीलवाड़ा के सांसद दामोदर अग्रवाल और उदयपुर के डॉ. मन्नालाल रावत की पिछले एक वर्ष में संसद में शत-प्रतिशत उपस्थिति रही, जिससे उनकी गिनती जागरूक और गंभीर सांसदों में हुई,सर्वाधिक 57 प्रश्न पूछकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ राजस्थान में पहले स्थान पर रहे। वहीं राज्यसभा सांसद श्रीमती सोनिया गांधी और चुन्नीलालगरासिया इस सत्र में कोई प्रश्न नहीं पूछ पाए।
भीलवाड़ा के अग्रवाल और उदयपुर के रावत की 100 प्रतिशत उपस्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल और उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने संसद के मानसून सत्र में 100 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई। दोनों सांसद हर सत्र में मौजूद रहे और अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को मजबूती से संसद में उठाया। उनकी यह निरंतर उपस्थिति उन्हें “जागरूक और गंभीर सांसदों” की श्रेणी में लाती है।
मदन राठौड़ सबसे आगे, पूछे 57 प्रश्न
राजस्थान में सवाल पूछने के मामले में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और सांसद मदन राठौड़ शीर्ष पर रहे। उन्होंने मानसून सत्र के दौरान 57 प्रश्न पूछकर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया। उनके सवाल कृषि, ग्रामीण विकास, सड़क सुरक्षा, और युवाओं के रोजगार जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहे।
डॉ. रावत तीसरे स्थान पर, नए सांसद के रूप में सक्रियता सराहनीय
पहली बार सांसद बने उदयपुर के **डॉ. मन्नालाल रावत** ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया। उन्होंने **41 प्रश्न** पूछकर प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया। विशेष रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और आदिवासी विकास से जुड़े विषयों पर उनके सवालों ने ध्यान खींचा।
जालोर के लुंबाराम चौधरी दूसरे स्थान पर
जालोर सांसद लुंबाराम चौधरी ने सक्रियता में दूसरा स्थान पाया। उनके अधिकांश प्रश्न ग्रामीण बुनियादी ढांचे और कृषि योजनाओं से जुड़े रहे।
कमजोर प्रदर्शन: कुछ सांसद रहे लगभग मौन
वहीं, कुछ सांसदों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। राज्यसभा सांसद **सोनिया गांधी** और **चुन्नीलाल गरासिया** ने पूरे सत्र में **एक भी प्रश्न नहीं पूछा ।
बांसवाड़ा-डूंगरपुर से सांसद राजकुमार रोत का प्रदर्शन भी कमजोर रहा — उन्होंने डॉ. रावत के मुकाबले आधे से भी कम प्रश्न पूछे। रिपोर्ट के अनुसार, उनका ध्यान राजस्थान से अधिक छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार** जैसे राज्यों के विषयों पर केंद्रित रहा।
रिपोर्ट ने खोली सांसदों की सक्रियता की परतें
यह रिपोर्ट संसद में प्रदेश के प्रतिनिधियों की गंभीरता और जवाबदेही को उजागर करती है। भीलवाड़ा और उदयपुर के सांसदों की सक्रिय उपस्थिति जहां सकारात्मक संदेश देती है, वहीं निष्क्रिय सांसदों के प्रदर्शन ने सवाल खड़े किए हैं कि जनता के मुद्दे आखिर कौन उठा रहा है।
अब नजरें शीतकालीन सत्र पर
शीतकालीन सत्र के नजदीक आने के साथ ही यह रिपोर्ट सांसदों के लिए एक संकेत है — जनता अब केवल वादे नहीं, बल्कि संसद में सक्रिय भागीदारी देखना चाहती है।


