अनंत चतुर्दशी आज:: बारिस केसाथ गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" के जयकारों के बीच होगी विदाई, तैयारियां

भीलवाड़ा हलचल। दस दिनों तक चली भक्ति और उत्साह से परिपूर्ण गणेश महोत्सव का समापन आज अनंत चतुर्दशी के अवसर पर होगा। गणेश भक्त जहां गणपति बप्पा को विदाई देने की तैयारी में जुटे हैं, वहीं इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा का विशेष महत्व भी है। शहरभर में पंडालों से गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, हालांकि लगातार हो रही बारिश आयोजकों और भक्तों के लिए चुनौती बनी हुई है। कई स्थानों पर प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के लिए विशेष इंतजाम करने पड़े हैं।
विशेष योगों से बढ़ेगी अनंत चतुर्दशी की महत्ता
ज्योतिर्विद पंडित विक्रम सोनी के अनुसार इस बार की अनंत चतुर्दशी विशेष योगों से युक्त रहेगी। यह व्रत 6 सितंबर की सुबह 3.15 बजे से प्रारंभ होकर 7 सितंबर की रात 1.42 बजे तक रहेगा। दिनभर सुकर्मा योग और रवि योग का संयोग रहेगा। रवि योग सुबह 6.02 बजे से शुरू होकर रात 10.55 बजे तक रहेगा, जबकि सुकर्मा योग दोपहर 1.40 बजे से प्रभावी होगा। इसके साथ ही धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा देगा।
पूजा और विसर्जन की परंपरा
अनंत चतुर्दशी के दिन भक्त सुबह स्नान-ध्यान कर हवन, यज्ञ और विशेष पूजन करते हैं। भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के साथ-साथ घरों और पंडालों में विराजित गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। गणेश महोत्सव के अंतिम दिन भक्त पूरे उत्साह और भावनाओं के साथ "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" के जयकारों के बीच बप्पा को विदाई देते हैं।
भीलवाड़ा में गणेश महोत्सव की रौनक
भीलवाड़ा में हर साल की तरह इस बार भी गणेश महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। हालांकि लगातार हो रही बारिश के कारण इस बार अपेक्षित रौनक और कार्यक्रमों में कमी देखने को मिली। पंडालों में सजीव झांकियों और सांस्कृतिक आयोजनों पर बारिश का असर पड़ा, लेकिन श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। आज भी विसर्जन को लेकर बारिश बड़ी बाधा बनी हुई है, जिससे आयोजकों को अतिरिक्त इंतजाम करने पड़ रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण की पहल
बीते कुछ वर्षों से गणपति विसर्जन में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। भक्त अब घरों में ही प्रतिमाओं का प्रतीकात्मक विसर्जन कर रहे हैं। मिट्टी से बनी, बीज युक्त और इको-फ्रेंडली प्रतिमाओं की लोकप्रियता बढ़ी है। इससे जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाने के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिल रही है।
आस्था और भावनाओं का संगम
अनंत चतुर्दशी केवल गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का दिन ही नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, आस्था और आध्यात्मिक शक्ति का संगम है। एक ओर भक्त भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा कर दीर्घायु और समृद्धि की कामना करते हैं, वहीं दूसरी ओर बप्पा को भावभीनी विदाई देते हुए अगले वर्ष उनके पुनः आगमन की प्रतीक्षा भी शुरू हो जाती है।
इस प्रकार, बारिश की चुनौतियों के बावजूद भीलवाड़ा सहित देशभर में अनंत चतुर्दशी पर भक्तिभाव का उत्सव चरम पर है। यह दिन न केवल धार्मिक परंपराओं को निभाने का अवसर है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का संदेश भी देता है।
