नाबालिग से रेप मामले में महंत सरजू दास पर फिर गिरफ्तारी का वारंट, हाईकोर्ट ने DJ कोर्ट के फैसले को दी चुनौती

राहत खत्म, भीलवाड़ा एसपी को कोर्ट में पेशी सुनिश्चित करने के निर्देश*
भीलवाड़ा हलचल. जिले के घोडास के डांग हनुमान मंदिर के महंत सरजू दास एक बार फिर कानूनी शिकंजे में आ गए हैं। 17 साल की नाबालिग से डेढ़ साल तक दुष्कर्म के आरोपों से निचली अदालत से बरी होने के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा एसपी को आदेश दिए हैं कि आरोपी की कोर्ट में पेशी सुनिश्चित कराई जाए।**
क्या है मामला?
डांग हनुमान मंदिर आश्रम में काम करने वाली एक किशोरी ने 18 दिसंबर 2022 को महंत सरजू दास (35) पर आश्रम में लगातार रेप करने का आरोप लगाया था।
FIR के मुताबिक:
* पीड़िता और उसकी मां आश्रम में काम करती थीं।
* महंत ने **डेढ़ साल तक कई बार यौन शोषण किया**, जिसमें एक बार **महाराष्ट्र के जलगांव आश्रम** में भी दुष्कर्म हुआ।
* पीड़िता की मां पर **एसिड अटैक** भी हुआ, जिसका आरोप महंत पर ही लगा।
* पीड़िता ने अपनी सहेली को आपबीती बताई, जिसके बाद मामला सामने आया।
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### 🏥 **गिरफ्तारी और खुदकुशी की कोशिश**
* **28 दिसंबर 2022:** पुलिस ने आरोपी को आश्रम से गिरफ्तार किया।
* गिरफ्तारी के दौरान **महंत ने जहरीला बीज खा लिया**, जिसे उपचार हेतु **महात्मा गांधी हॉस्पिटल** में भर्ती कराया गया।
* बाद में **गंगापुर न्यायिक मजिस्ट्रेट** ने उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेजा।
* तब से वह जेल में बंद था।
⚖️ **डीजे कोर्ट से मिली थी राहत**
* **26 जून 2025 को** भीलवाड़ा की **डिजीटल न्यायालय (DJ कोर्ट)** ने **सभी आरोपों से बरी** कर दिया था।
* फैसले को पीड़िता के वकील **नीरज कुमार गुर्जर** ने **हाईकोर्ट में चुनौती** दी थी।
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### 📌 **हाईकोर्ट का रुख सख्त**
* हाईकोर्ट के न्यायाधीश **फरजंद अली** ने अपील को **सुनवाई योग्य माना**।
* सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि मामला **गंभीर और पुनरावलोकन योग्य** है।
* **आरोपी की पेशी सुनिश्चित करने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।**
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### 👮♂️ **पुलिस और प्रशासन की अगली चुनौती**
अब **भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक (SP)** को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह महंत सरजू दास को हाईकोर्ट में पेश करें। इस आदेश के बाद एक बार फिर मामला **जनचर्चा का विषय** बन गया है।
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### 📣 **क्या अब मिलेगा न्याय?**
इस हाईप्रोफाइल केस ने एक बार फिर **धार्मिक स्थलों में होने वाले शोषण और सत्ता संरक्षण** पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की नजर इस बात पर है कि **न्याय की अंतिम लड़ाई में क्या सच सामने आएगा** या फिर यह भी **कानून की गलियों में गुम हो जाएगा।**
