आसींद थाना परिसर बना कबाड़खाना.बरसाती पानी में डूबे जब्त वाहन, लापरवाही से लाखों की संपत्ति हो रही बर्बाद

भीलवाड़ा, सुरेन्द्र सागर आसींद भीलवाड़ा जिले के आसींद थाना परिसर में प्रशासनिक लापरवाही और अव्यवस्था के चलते मानसून की बारिश अब जब्त वाहनों के लिए अभिशाप बन गई है। थाने में विभिन्न आपराधिक मामलों, खासकर अवैध बजरी परिवहन, चोरी, सड़क दुर्घटनाओं और अवैध गतिविधियों में जब्त किए गए वाहन इन दिनों तेज बारिश के कारण थाना परिसर में जमा बरसाती पानी में डूबकर कबाड़ बनते जा रहे हैं।
कबाड़ में तब्दील होते वाहन
सूत्रों के अनुसार, आसींद थाने में दर्जनों की संख्या में जब्त वाहन महीनों से खुले में खड़े हैं। मानसून की झमाझम बारिश के कारण थाना परिसर में जलभराव की स्थिति बन गई है, जिससे ये वाहन कमर तक पानी में डूब चुके हैं। टायरों से लेकर इंजन पार्ट तक पानी में घुल रहे हैं। कई गाड़ियों में तो जंग लगना शुरू हो चुका है। यहां तक कि कुछ वाहन पूरी तरह पानी में समा चुके हैं, जिससे उनका मूल्य अब मात्र 'कबाड़' तक सिमट गया है।
लाखों का नुकसान, कोई देखने वाला नहीं
इन वाहनों में कुछ वाहन ऐसे हैं जिनकी कीमत 5 लाख रुपये से अधिक है। लेकिन महीनों से लंबित कानूनी प्रक्रियाओं के कारण न तो वाहन मालिक इन्हें छुड़ा पा रहे हैं और न ही पुलिस प्रशासन इनके संरक्षण के लिए किसी वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान दे रहा है। विभागीय उदासीनता के कारण लाखों की संपत्ति पानी में सड़ रही है।
जिम्मेदार कौन?
पुलिस प्रशासन द्वारा वाहन जप्त कर थाने में खड़ा कर दिया जाता है, लेकिन उनके संरक्षण की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई। थानों में पार्किंग की जगह सीमित है और छायायुक्त या शेड की सुविधा नहीं होने से बारिश, धूप और धूल में गाड़ियाँ खराब हो रही हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि—
> “हमारे पास पर्याप्त स्थान नहीं है, और कोर्ट के आदेश के बिना इन वाहनों को हटाना या नीलामी करना संभव नहीं होता।”
समस्या केवल आसींद तक सीमित नहीं
यह हालात केवल आसींद थाने तक सीमित नहीं है। जिले के अन्य थानों में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। जब्त वाहन महीनों और कभी-कभी वर्षों तक यूं ही खुले में पड़े रहते हैं। न्यायिक कार्यवाही पूरी होने तक यह वाहन सरकारी जमीन पर बोझ बने रहते हैं और अंत में कबाड़ बन जाते हैं।
स्थानीय निवासियों में नाराजगी
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को इन वाहनों की सुरक्षा के लिए शेड या गोदाम की व्यवस्था करनी चाहिए। “जिन वाहनों पर कानूनी कार्यवाही लंबित है, उन्हें खुले में सड़ने देना सरकार की संपत्ति को खुद नष्ट करने जैसा है,” एक ग्रामीण ने कहा।
क्या चाहिए समाधान?
जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक थाने में पक्के वाहन संरक्षण शेड बनवाने चाहिए।
जिन वाहनों के मालिक कोर्ट में पेश नहीं हो रहे, उनकी नीलामी प्रक्रिया तेज की जानी चाहिए।
जलभराव से बचने के लिए थाना परिसरों की समुचित ड्रेनेज व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
आसींद थाना परिसर में बरसाती पानी में डूबे जब्त वाहन न केवल सरकारी संपत्ति के नुकसान की कहानी बयां करते हैं, बल्कि पुलिस प्रशासन की उदासीनता और सरकारी संसाधनों के कुप्रबंधन की एक बानगी भी हैं। जरूरत है तत्काल कार्रवाई की, ताकि आने वाले समय में यही वाहन प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल न खड़े कर दें।