बुधवार को भारत बंद और हड़ताल का ऐलान, कर्मचारी और किसान होंगे शामिल

बुधवार को  भारत बंद और हड़ताल का ऐलान,  कर्मचारी और किसान होंगे शामिल
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बुधवार को पूरे देश में एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन देखने को मिल सकता है। जहां एक ओर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें देशव्यापी हड़ताल पर जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ बिहार में विपक्षी महागठबंधन ने चक्का जाम का आह्वान किया है। करीब 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों और ग्रामीण मजदूरों के सड़कों पर उतरने की संभावना है। हड़ताल और विरोध प्रदर्शन का असर बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाएं, कोयला खनन, परिवहन, निर्माण और फैक्ट्री सेक्टर तक पड़ेगा, जिससे करोड़ों रुपये के आर्थिक नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

कौन कर रहा है हड़ताल और क्यों?

इस देशव्यापी हड़ताल का आयोजन 10 प्रमुख ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों ने किया है। इन यूनियनों में शामिल हैं: कर्मचारियों के भारत बंद में यूनियनों में एआईटीयूसी, एचएमएस, सीआईटीयू, आईएनटीयूसी, आईएनयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं। हालांकि, आरएसएस समर्थित भारतीय मजदूर संघ इस आंदोलन से दूर है। संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संगठनों के एक साझा मंच ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है, जिससे इसका असर शहरी ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में भी व्यापक हो सकता है।

क्या हैं हड़ताल की मुख्य मांगें?

प्रदर्शनकारी यूनियनों ने 17 सूत्रीय मांगपत्र सरकार को सौंपा था, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख मुद्दे शामिल हैं:

-श्रमिक अधिकारों में कटौती के खिलाफ विरोध

-नए श्रम कानून (Labour Codes) का विरोध, जिनके जरिए यूनियनों का प्रभाव घटाने की कोशिश हो रही है

काम के घंटे बढ़ाना और मजदूरी सुरक्षा कम करना

-निजीकरण और संविदा प्रणाली को बढ़ावा

-सरकारी नौकरियों में नई भर्तियों की मांग

-बेहतर वेतन और पेंशन की व्यवस्था

-बेरोजगारी की समस्या को गंभीरता से लेना

-श्रम सम्मेलन की नियमितता सुनिश्चित करना

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