चित्तौड़ में कार्रवाई के बाद भीलवाड़ा वासियों को राहत की उम्मीद: दिन, महिने साल गुजर गए पर नहीं मिला चोरी या गुम हुआ मोबाइल

भीलवाड़ा। आजकल आसानी से ईएमआई पर उपलब्ध होने से आम आदमी भी महंगा मोबाइल लेने से नहीं हिचकिता है। लेकिन मोबाइल चोरी होने या खो जाने की स्थिति में वह असहाय ही महसूस करता है। कहीं भी हुई छोटी-मोटी चोरी के मामले में पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान शुरू करती है, लेकिन बात जब हजारों रुपए के मोबाइल पर आती है, तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने सहित विभिन्न पेचिदगियों में फंसा पीडि़त थक हारकर राहत की उम्मीद खो बैठता है। चित्तौडग़ढ पुलिस ने कार्रवाई कर लाखों रुपए कीमत के 200 मोबाइल पीडि़तों को वापस लौटाए है, ऐसे में सवाल है कि लंबे समय से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे भीलवाड़ा वासियों के लिए भी इसी तरह का अभियान चलाकर उन्हें राहत पहुंचाई जाएगी!
अभी हाल ही में निकटवर्ती जिले की चित्तौडग़ढ पुलिस ने साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए ऑपरेशन एंटीवायरस चलाकर लाखों रुपए कीमत के करीब 200 मोबाइल बरामद किए। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अलग-अलग स्थान पर लोगो के गुम हुए दो सौ एक मोबाइल बरामद कर लोगों को लौटाए है। जिन्हें पाकर लोगों में संतोष का भाव भी देखा गया। लेकिन भीलवाड़ा में लंबे समय से चोरी या गुम हुए मोबाइल के संबंध में कार्रवाई नहीं किए जाने से लोगों में निराशा का भाव है। उन्हें उम्मीद है कि चित्तौडग़ढ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बाद शायद भीलवाड़ा में भी इस तरह का अभियान चलाकर कई महिनों से गायब हुए मोबाइल बरामद कर उन्हें राहत पहुंचाई जाए।
मोबाइल नहीं मिलने की आस में शिकायत से कतराते है पीडि़त
मोबाइल गुम जाना या उसका चोरी हो जाना इन दिनों बेहद आम हो गया है। मोबाइल चोरी करने वाले गिरोह के कई शातिर अलग-अलग तरीके से इस वारदात को अंजाम देते हैं। मोबाइल में न केवल निजी तस्वीरें, बल्कि बैकिंग सर्विंस के साथ-साथ कई गोपनीय बातें भी होती है। ऐसे में मोबाइल खो जाने के बाद लोगों की हालत खराब हो जाती है। बस-ट्रेन में यात्रा करते समय भी चोर मोबाइल पर नजर टिकाए रखते हैं, जरा सी चूक होते मोबाइल की चोरी कर भाग निकलते हैं। आपके या आपके परिचितों के साथ ही पहले ऐसा हो चुका होगा। लेकिन मोबाइल चोरी के ज्यादातर मामलों में लोग यह सोच कर पुलिस शिकायत नहीं करते कि चोरी हुए मोबाइल का वापस मिलना शायद संभव नहीं है।
टेलीकॉम कंपनियों पर लोड
हत्या, लूट, डकैती जैसे जघन्य अपराधों की जांच के लिए कई बार लाखों कॉल डिटेल, टावर लोकेशन और लोगों का नाम, पता निकालने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों की मदद ली जाती है। टेलीकॉम कंपनियां भी जानकारी देने में समय लगाती है। ऐसे में हर एक मोबाइल की खोजबीन के लिए टेलीकॉम कंपनी की मदद मांगने पर उन पर लोड बढ़ जाएगा।
कंपनियां नहीं देती बीमा
थाने में एफआईआर नहीं होने के कारण पुलिस मोबाइल ढूंढती। दूसरी ओर मोबाइल का बीमा होने पर कंपनी भी बिना एफआईआर के क्लेम नहीं देती। क्लेम लेने के लिए एफआईआर की कॉपी जरूरी है। मोबाइल के कारोबारियों ने बताया कि 10 हजार से महंगे मोबाइल का बीमा कराया जाता है। ताकि गुम, चोरी या खराब होने पर कंपनी उसका क्लेम दे सके। वहीं कुछ पुलिस अफसरों का कहना है कि कई बार लोग फर्जी क्लेम करने के लिए झूठी रिपोर्ट लिखवाते है।
मोबाइल के बिना लाचार हो जाता है आदमी
आजकल डिजिटल का जमाना है। हर हाथ में मोबाइल है। यही वजह है कि अक्सर मोबाइल चोरी या खोने की घटनाएं भी होती रहती हैं। मोबाइल ही अब घड़ी है, मोबाइल ही अब पर्स है, मोबाइल ही अब बैंक है, मोबाइल ही अब कंप्यूटर है, मोबाइल ही अब मनोरंजन है। लेकिन अगर आपका मोबाइल चोरी हो गया या कहीं खो जाए तो पीडि़त खुद को लाचार महसूस करते हैं। ऐसे में अगर समय रहते कार्रवाई नहीं होती हैं, तो पीडि़त आर्थिक और मानसिक रूप से टूटा हुआ बेबस नजर आता है।
दो साल से अधिक समय हो गया, नहीं मिला मोबाइल
बाबाधाम क्षेत्र के निवासी नरेश ने बताया कि उनका मोबाइल गुम हुए दो साल से अधिक समय बीत गया, लेकिन अभी तक मोबाइल का कुछ भी पता नहीं लग पाया। थाने में शिकायत करने पहुंचे तो ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा गया। ऑनलाइन रिपोर्ट कराने के बाद चौकी पर संपर्क किया तो संतोषप्रद जवाब नहीं मिला। रिपोर्ट के संबंध में सीएम हैल्पलाइन पर भी कई बार कॉल किए, लेकिन वहां से भी किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने बताया कि उस समय 26 हजार रुपए का मोबाइल ईएमआई पर लिया। बड़ी मुश्किल से ईएमआई भी चुका दी, लेकिन महंगा मोबाइल गुम होने के बाद से आज तक कोई कार्रवाई नहीं होने से उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से काफी परेशानी झेलनी पड़ी।
