भीलवाड़ा का 'बकरी ठगी कांड' अजमेर में फिर दोहराया: ऑनलाइन फार्म के नाम पर 2.7 करोड़ की महाठगी

भीलवाड़ा का बकरी ठगी कांड अजमेर में फिर दोहराया: ऑनलाइन फार्म के नाम पर 2.7 करोड़ की महाठगी
X

*3160 केस दर्ज, राष्ट्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की जांच में खुलासा

*फर्जी फार्म नामों से यूपीआई के जरिए लाखों निवेशकों से वसूली

*भीलवाड़ा की तरह अजमेर में भी लालच का ‘बकरी फार्म मॉडल’ दोहराया गया

*बैंक खाते फ्रीज, ई-जीरो एफआईआर से होगी ठगों पर शिकंजे की शुरुआत

भीलवाड़ा/अजमेर (राजकुमार माली )इतिहास खुद को दोहराता है, और अपराध की दुनिया में यह कहावत अक्सर एक भयावह चेतावनी के रूप में सामने आती है। कुछ साल पहले भीलवाड़ा में बकरी फार्म के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले की यादें अभी धुंधली भी नहीं पड़ी थीं कि अब ठीक उसी तर्ज पर पड़ोसी जिले अजमेर में एक और महाठगी का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। बकरी पालन के इस सीधे-सादे व्यवसाय की आड़ में साइबर अपराधियों ने एक ऐसा जाल बुना, जिसमें देश भर के सैकड़ों लोग फंस गए और अपनी मेहनत की कमाई के 2.7 करोड़ रुपये गँवा बैठे। इस राष्ट्रव्यापी घोटाले का खुलासा तब हुआ जब राष्ट्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), दिल्ली ने अपनी जांच की परतें खोलनी शुरू कीं।

यह मामला सिर्फ पैसों के गबन का नहीं, बल्कि उस भरोसे के कत्ल का भी है, जो आम आदमी डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते हुए ऑनलाइन लेन-देन पर करने लगा है। यह कहानी हमें एक बार फिर भीलवाड़ा के उस दौर में ले जाती है, जब कुछ प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों ने 'बड़े लाभ' का झांसा देकर एक ऐसी ही योजना को अंजाम दिया था, जिसके बाद सड़कों पर हंगामा, प्रदर्शन और अनगिनत पुलिस मामले दर्ज हुए थे, और जिसकी आंच में कई परिवार आज भी झुलस रहे हैं।

अजमेर का घोटाला: कार्यप्रणाली और .....

नई दिल्ली स्थित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (I4C) की जांच रिपोर्ट ने अजमेर पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, अजमेर में विभिन्न भ्रामक नामों से दर्जनों अपंजीकृत और अनाधिकृत बकरी फार्म ऑनलाइन संचालित किए जा रहे थे। इन फार्मों के खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (हेल्पलाइन 1930) पर अब तक 3160 से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जो इस घोटाले के масштаब को दर्शाती हैं।

अपराधियों की कार्यप्रणाली बेहद शातिराना थी। उन्होंने आकर्षक नामों जैसे आर.के. बकरी फार्म, हंस बकरी फार्म, डीएसपी बकरी फार्म, राजस्थान बकरी फार्म, और सुल्तान बकरी फार्म के नाम पर वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज बनाए। इन पर स्वस्थ और उच्च नस्ल की बकरियों की तस्वीरें पोस्ट की गईं और बाजार भाव से काफी कम कीमत पर बेचने का लालच दिया गया। जब कोई खरीदार, चाहे वह व्यापारी हो या आम नागरिक, उनसे संपर्क करता, तो उसे ऑनलाइन टोकन मनी या पूरी रकम यूपीआई (UPI) के माध्यम से ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता। जैसे ही पैसा उनके खाते में पहुंचता, वे खरीदार का नंबर ब्लॉक कर देते और संपर्क के सारे रास्ते बंद कर दिए जाते।

I4C के अनुसार, अब तक इन खातों के जरिए 2.7 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि, यह आंकड़ा केवल हिमशैल का शिखर हो सकता है, क्योंकि कई पीड़ित शर्म या प्रक्रिया की जटिलता के कारण शिकायत दर्ज नहीं कराते। जांच में बबलू, राकेश कुमार, प्रकाश, दीपक, घनश्याम और गणेश जैसे कुछ नाम सामने आए हैं, लेकिन यह भी पता चला है कि अधिकांश बैंक खाते इन लोगों के नाम पर नहीं हैं, बल्कि ये खाते भी धोखाधड़ी से या कमीशन का लालच देकर अन्य लोगों से हासिल किए गए थे, ताकि सरगना तक पहुंचना मुश्किल हो जाए।

भूली बिसरी चेतावनी: जब भीलवाड़ा में मचा था हाहाकार

अजमेर का यह मामला भीलवाड़ा के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व, भीलवाड़ा में भी इसी तरह का एक बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें राजनीती से 'प्रतिष्ठित' उधोगपति के रिश्तेदारों ने भोले-भाले निवेशकों को बकरी फार्म में निवेश पर असाधारण लाभ का सपना दिखाया था। उस योजना में लोगों को न केवल बकरियां बेची गईं, बल्कि उनसे यह कहकर भी पैसे लिए गए कि उनकी बकरियों को फार्म में पाला जाएगा और उससे होने वाले मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा उन्हें दिया जाएगा।

शुरुआत में कुछ लोगों को छोटे-मोटे भुगतान करके विश्वास जीता गया, लेकिन जैसे ही बड़ी संख्या में निवेशक जुड़ गए, घोटालेबाज सारा पैसा लेकर चंपत हो गए। इसके बाद जो हुआ, वह भीलवाड़ा के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। पीड़ितों ने जमकर हंगामा किया, सड़कें जाम कीं, प्रदर्शन किए और पुलिस थानों में मुकदमों का अंबार लगा दिया। कई लोगों की जीवन भर की पूंजी डूब गई। उस मामले की गूंज आज भी सुनाई देती है और कई पीड़ित अभी भी न्याय की आस में भटक रहे हैं। भीलवाड़ा की उस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया था कि कैसे पारंपरिक व्यवसाय की आड़ लेकर और लोगों के लालच का फायदा उठाकर एक बड़ा संगठित अपराध खड़ा किया जा सकता है।

भीलवाड़ा के अनुभव से सबक लेते हुए और अजमेर मामले की गंभीरता को देखते हुए, गृह विभाग और I4C ने इस बार सख्त रुख अपनाया है। I4C के उप निदेशक ने अजमेर के पुलिस अधीक्षक (SP) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इन सभी अनाधिकृत फार्म संचालकों के खिलाफ तत्काल 'बिना नंबरी मुकदमा' (Zero FIR) दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।

इसके साथ ही, साइबर अपराध से निपटने के लिए एक नई व्यवस्था 'ई-जीरो एफआईआर' को भी लागू किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) के झमेले में पड़े बिना किसी भी राज्य का पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करा सके और उसे तुरंत संबंधित राज्य की पुलिस और समन्वय केंद्र दिल्ली को जांच के लिए भेजा जा सके। जांच एजेंसियों का पहला कदम इन सभी फर्जी फार्मों से जुड़े बैंक खातों को फ्रीज करना है, ताकि और अधिक धोखाधड़ी को रोका जा सके। इन खातों से हुए लेन-देन की जांच करके गिरोह के अन्य सदस्यों और सरगनाओं तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।

आम जनता के लिए सबक

भीलवाड़ा से लेकर अजमेर तक, 'बकरी फार्म' घोटाले का यह पुनरावर्तन आम जनता के लिए एक बड़ी चेतावनी है:

सत्यापन आवश्यक है: किसी भी ऑनलाइन सौदे, विशेषकर जिसमें बड़ी रकम शामिल हो, में भुगतान करने से पहले विक्रेता की भौतिक उपस्थिति और सामान (इस मामले में बकरी फार्म और जानवर) का सत्यापन अवश्य करें।

अविश्वसनीय प्रस्तावों से बचें: यदि कोई सौदा सच होने के लिए बहुत अच्छा लग रहा है, तो संभवतः वह सच नहीं है। बाजार भाव से बहुत कम कीमत एक खतरे की घंटी है।डिजिटल फुटप्रिंट की जांच करें: किसी भी कंपनी या फार्म की वेबसाइट, सोशल मीडिया उपस्थिति और ऑनलाइन समीक्षाओं की जांच करें। हालांकि, यह भी फुलप्रूफ नहीं है।

यूपीआई लेन-देन में सावधानी: यूपीआई भुगतान आसान है, लेकिन इसे केवल विश्वसनीय और ज्ञात व्यक्तियों या व्यापारियों के साथ ही करें। अनजान लोगों को अग्रिम भुगतान करने से बचें।शिकायत करने में संकोच न करें: यदि आप धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं।

अजमेर में सामने आया यह घोटाला केवल एक स्थानीय अपराध नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रव्यापी संगठित साइबर अपराध का हिस्सा है, जिसकी जड़ें भीलवाड़ा जैसे पुराने मामलों से प्रेरणा लेती हैं। यह पुलिस के लिए एक चुनौती है कि वह न केवल इन अपराधियों को पकड़े, बल्कि इस तरह के घोटालों के प्रति जनता को जागरूक भी करे, ताकि भविष्य में कोई और अपनी मेहनत की कमाई इस 'डिजिटल चारे' के लालच में न गंवाए।



Tags

Next Story